महाराष्ट्र

कारोबारी को CBI ने किया अरेस्ट, टॉप नेताओं के माने जाते हैं करीबी

Admin2
26 May 2022 4:49 PM GMT
कारोबारी को CBI ने किया अरेस्ट, टॉप नेताओं के माने जाते हैं करीबी
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पुणे: यस बैंक डीएचएफएल मामले में सीबीआई ने पुणे के कारोबारी अविनाश भोंसले को गिरफ्तार किया है. अविनाश भोंसले महाराष्ट्र के शीर्ष राजनेताओं के करीबी माने जाते हैं. सीबीआई ने यस बैंक डीएचएफएल मामले में भोसले के परिसर की तलाशी ली थी. सीबीआई ने मार्च 2020 में मामला दर्ज किया था.

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 30 अप्रैल को मुंबई और पुणे में कई स्थानों पर छापेमारी की थी. CBI अधिकारियों ने बिल्डर और व्यवसायी शाहिद बलवा और पुणे स्थित व्यवसायी अविनाश भोसले से जुड़े परिसरों पर छापेमारी की थी. सीबीआई ने मुंबई और पुणे में कुल आठ स्थानों पर छापेमारी की थी. सूत्रों के अनुसार, छापे यस बैंक डीएचएफएल मामले से जुड़े हुए हैं जिसमें रेडियस समूह के बिल्डर संजय छाबड़िया को अप्रैल में गिरफ्तार किया गया था.

संजय छाबड़िया रेडियस ग्रुप के प्रमोटर हैं. रेडियस ग्रुप ने डीएचएफएल (दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड) और यस बैंक से भारी कर्ज लिया था. सीबीआई ने इस साल फरवरी में मुंबई और पुणे में संजय छाबड़िया और रेडियस ग्रुप से जुड़े छह स्थानों पर तलाशी ली थी.

सीबीआई यस बैंक को नुकसान पहुंचाने के लिए यस बैंक के सह संस्थापक राणा कपूर और डीएचएफएल और उसके प्रमोटरों कपिल और धीरज वधावन की जांच कर रही है. जांच के दौरान यह पाया गया कि कपूर को डिबेंचर के लिए 650 करोड़ रुपये की रिश्वत मिली थी, जिसे यस बैंक ने कपूर के निर्देश पर डीएचएफएल में बैंक द्वारा 3,700 करोड़ रुपये में खरीदा था. एक और 750 करोड़ यस बैंक द्वारा डीएचएफएल से जुड़ी कंपनी बिलीफ रियल्टर्स को दिए गए.

सूत्रों ने बताया कि रेडियस डेवलपर्स ने डीएचएफएल से करीब 3,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी साल 2020 में छाबड़िया से पूछताछ की थी और कपूर के साथ-साथ वधावन के खिलाफ मामले में उनका बयान दर्ज किया था.

यस बैंक और डीएचएफएल धोखाधड़ी मामले में सीबीआई के अलावा प्रवर्तन निदेशालय (ED)भी जांच कर रही है. ये मामला यस बैंक के फाउंडर राणा कपूर के अपने पद का गलत इस्तेमाल कर DHFL को फायदा पहुंचाने से जुड़ा है. साथ ही इसके बदले में राणा कपूर और उनके परिवार को निजी लाभ भी हुआ. दरअसल यस बैंक ने DHFL के डिबेंचर में करीब 3,700 करोड़ रुपये निवेश किया और बदले में राणा कपूर और उनके परिवार ने इसका निजी लाभ उठाया. सीबीआई ने भी इस संबंध में मार्च 2020 में मामला दर्ज किया था. सीबीआई ने धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र का मामला दर्ज किया. साथ ही इस मामले में वह भ्रष्टाचार को लेकर भी जांच कर रही है

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