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आनंद तेलतुंबडे को मिली जमानत
मुंबई : मुंबई हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने भीमा कोरेगांव – एल्गार परिषद (Bhima Koregaon – Elgar Parishad Case) मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार (Arrested) आईआईटी (IIT) के पूर्व प्रोफेसर और दलित विद्वान प्रो.आनंद तेलतुंबडे (Prof. Anand Teltumbde) को जमानत (Bail) मिल गई।
14 अप्रैल 2020 को हुई थी गिरफ्तार
मुंबई हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति एएस गडकरी और न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ ने 2021 में तेलतुंबडे के दायर एक अपील पर जमानत का आदेश पारित किया। विशेष एनआईए कोर्ट ने गुण-दोष के आधार पर उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दी थी। तेलतुंबडे से उसे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद तेलतुंबडे ने एनआईए के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। एनआईए ने 73 वर्षीय तेलतुंबडे 14 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया था।
प्रथम दृष्टया अपराध नहीं बनता
अदालत ने पाया कि यूएपीए की धारा 13 (गैरकानूनी गतिविधियों के लिए सजा), 16 (आतंकवादी कृत्य के लिए सजा) और 18 (साजिश के लिए सजा) के तहत प्रथम दृष्टया अपराध नहीं बनता है और केवल धारा 38 और 39 (आतंकवादी संगठन की सदस्यता और समर्थन) मामला बनाया गया।
एक लाख निजी मुचलके मिली जमानत
एक लाख रुपए के निजी बॉन्ड के निष्पादन और इतनी ही राशि के दो जमानतदार पेश करने पर जमानत दी गई। तेलतुंबडे का प्रतिनिधित्व सीनियर एडवोकेट मिहिर देसाई और एडवोकेट देवयानी कुलकर्णी ने किया, जबकि एनआईए का प्रतिनिधित्व एसपीपी संदेश पाटिल ने किया।
प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश का आरोप
अदालत ने एनआईए को एससी से संपर्क करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है और तब तक के लिए जमानत आदेश पर रोक लगा दी। एनआईए ने तेलतुंबडे पर 31 दिसंबर, 2017 को आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन के संयोजक होने का आरोप लगाया, जिसके कारण अगले दिन भीमा कोरेगांव में हिंसा हुई। प्रधानमंत्री की हत्या और देश में लोकतंत्र को उखाड़ फेंकने की साजिश का आरोप लगाया था।
सोर्स - नवभारत.कॉम
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