महाराष्ट्र

PM मोदी को नए भारत का राष्ट्रपिता कहना उनका अपमान है : संजय राउत

Teja
25 Dec 2022 2:21 PM GMT
PM मोदी को नए भारत का राष्ट्रपिता कहना उनका अपमान है : संजय राउत
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मुंबई । महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडनवीस की पत्नी अमृता फडनवीस द्वारा पीएम नरेंद्र मोदी को नए भारत का राष्ट्रपिता कहने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के नेता और पार्टी के मुखपत्र सामना के कार्यकारी संपादक संजय राउत ने पार्टी के मुखपत्र में लिखा कि नए भारत में भूख गरीबी बेरोजगारी और आतंकवाद सर उठा रहे हैं। ऐसे में पीएम मोदी को नए भारत का राष्ट्रपिता कहना उनका अपमान है।

राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने इसे लेकर रविवार को सामना में तंज कसा। उन्होंने भाजपा से पूछा कि क्या वह अमृता फडनवीस के विचार से सहमत है? क्योंकि ऐसा कहना पीएम मोदी का अपमान है। राउत ने सामना में अपने साप्ताहिक कॉलम रोकटोक में कहा नए भारत में भूख गरीबी बेरोजगारी और आतंकवाद के भूत सिर उठा रहे हैं ऐसे में पीएम मोदी को नए भारत का राष्ट्रपिता कहना उनका अपमान है। उल्लेखनीय है कि अमृता फडनवीस ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था हमारे पास दो राष्ट्र पिता हैं। नरेंद्र मोदी नए भारत के राष्ट्रपिता हैं और महात्मा गांधी पुराने भारत के राष्ट्रपिता हैं।

शिवसेना उद्धव बाला साहेब ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने आरोप लगाया कि भाजपा में कोई भी (स्वतंत्रता सेनानी) वीर सावरकर के राष्ट्रपिता होने की बात नहीं करता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) हमेशा सावरकर का विरोध करता था। सावरकर ने कठोर कारावास का सामना किया। इन लोगों ने भारत को पुराने और नए में विभाजित कर दिया है।

अमृता फडनवीस की टिप्पणी का कांग्रेस के अनेक नेताओं और महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने भी विरोध किया है। राउत ने रविवार को सामना में लिखे आलेख में सवाल किया कि क्या भाजपा स्वतंत्रता सेनानियों की शहादत से मिली आजादी को स्वीकार नहीं करती है?

राउत ने दावा किया कि राष्ट्रपिता की उपाधि महात्मा गांधी को देश के लोगों ने दी थी। हालांकि शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बालासाहेब ठाकरे सहित कई राजनीतिक विरोधियों को इस पर आपत्ति थी लेकिन यहां मुद्दा यह नहीं है कि राष्ट्रपिता या सरदार कौन है। सवाल इस बात का है कि स्वतंत्रता संग्राम में भाजपा का क्या योगदान है? संजय राउत ने आरोप लगाया कि भाजपा और आरएसएस की स्वतंत्रता आंदोलन में कोई भूमिका नहीं थी। इसीलिए उसे सरदार वल्लभभाई पटेल और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे कांग्रेस से जुड़े महापुरुषों के प्रतीक चुराने पड़े।

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