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महाराष्ट्र न्यूज: महाराष्ट्र के रायगढ़ के इरशालवाड़ी में एक पहाड़ी का एक हिस्सा गांव पर गिर गया, इससे कम से कम चार आदिवासियों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य फंस गए। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। रायगढ़ के संरक्षक मंत्री उदय सामंत ने कहा कि अब तक कम से कम चार लोगों की मौत हो गई है, जबकि 25 को बचा लिया गया है।
पूरा गांव में मलबे में तब्दील
प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, गांव में लगभग 30 परिवार रहते है, लेकिन हताहतों, मौतों या अभी भी फंसे हुए लोगों की सटीक संख्या ज्ञात नहीं है। रायगढ़ जिला प्रशासन, पुलिस, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें घटनास्थल पर पहुंच गई हैं और बड़े पैमाने पर बचाव अभियान शुरू कर दिया है, जबकि क्षेत्र में पिछले तीन दिनों से भारी बारिश हो रही है।
नवी मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती हैं घायल
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आज सुबह स्थिति की समीक्षा की। सामंत ने कहा, "घटना बुधवार रात करीब ढाई बजे हुई और तब से राहत एवं बचाव कार्य जारी है।" नवी मुंबई नगर निगम और पनवेल नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंच गए हैं। यह छोटा सा गांव मुंबई से लगभग 100 किलोमीटर दूर माथेरान के वाहन-मुक्त हिल-स्टेशन से दूर, इरशालगढ़ किले के पास स्थित है।
भारी बारिश के बीच राहत-बचाव काम में अड़चन
रायगढ़ जिले के खालापुर तहसील के इरशालवाड़ी गांव में रात करीब 11 बजे हादसा हुआ। बताया गया है कि चट्टान खिसकने की इस घटना में जो लोग भी जख्मी हुए हैं उन सभी लोगों का इलाज का खर्च सरकार उठाएगी।
अस्थायी कंट्रोल रूम बनाया
इरशालवाड़ी रायगढ़ जिले के इरशालगढ़ की तलहटी में चौक गांव से 6 किमी दूर मोरबे बांध के ऊपरी हिस्से में आदिवासी भाइयों का एक गांव है। यहां आदिवासी ठाकुर समुदाय के कई घर हैं। ये मकान भूस्खलन में दब गए हैं। शुरुआती जानकारी के मुताबिक इस वाडी के 90 फीसदी घर मलबे में समा गए हैं और भारी जनहानि की आशंका है।
पूरा गांव में मलबे में तब्दील
अधिकारी ने बताया कि भूस्खलन में घायल हुए 20 से अधिक लोगों को नवी मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।