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सामाजिक कार्यकर्ता और गांधीवादी अन्ना हजारे को सीने में दर्द की शिकायत के बाद गुरुवार को महाराष्ट्र के पुणे के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया।
Maharashtra: पुणे, सामाजिक कार्यकर्ता और गांधीवादी अन्ना हजारे को सीने में दर्द की शिकायत के बाद गुरुवार को महाराष्ट्र के पुणे के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। रूबी हाल क्लीनिक के चिकित्सा अधीक्षक डा. अवधूत बोदमवाड़ ने बताया कि अन्ना हजारे को सीने में दर्द के बाद पुणे के रूबी अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्हें निगरानी में रखा गया है और उनकी हालत स्थिर है।
चिकित्सा अधीक्षक बोदमवाड़ ने कहा कि 84 वर्षीय अन्ना हजारे की हालत फिलहाल स्थिर है। उन्होंने आगे बताया कि मरीज को डाक्टर परवेज ग्रांट, कार्डियोलाजिस्ट फार मेडिकल मैनेजमेंट एंड कोरोनरी एंजियोग्राफी में भर्ती कराया गया। उनकी हालत अब स्थिर है। 2011 के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का चेहरा रहे अन्ना हजारे पुणे से लगभग 87 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के रालेगण सिद्धि गांव में रहते हैं।
Anna Hazare was admitted to Ruby Hospital in Pune following chest pain. He has been kept under observation and stable: Dr Avdhut Bodamwad, Medical Superintendent, Ruby Hall Clinic
— ANI (@ANI) November 25, 2021
(File photo) pic.twitter.com/3yGt4t6UsV
रूबी हाल क्लीनिक ने एक बयान में कहा 84 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता को पिछले दो-तीन दिनों से सीने में दर्द की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। विशेषज्ञों की एक टीम ने उनकी जांच की। रूबी हाल क्लीनिक के मुख्य हृदय रोग विशेषज्ञ और मैनेजिंग ट्रस्टी डा ग्रांट ने कहा कि एंजियोग्राफी से उनकी कोरोनरी आर्टरी में मामूली ब्लाकेज का पता चला। उनका उपचार हो रहा है। उनकी हालत स्थिर है और 2 से 3 दिनों में छुट्टी मिलने की संभावना है।
सामाजिक मुद्दों पर समय-समय पर आवाज उठाने वाले इस समाजिक कार्यकर्ता ने साल 2019 में एंटी-करप्शन वाचडाग की नियुक्ति की मांग को लेकर सात दिनों तक भूख हड़ताल की थी। इसके बाद तबियत बिगड़ने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डाक्टरों ने तब कहा था कि दिमान में खून की आपूर्ति में कमी के कारण उनको कमजोरी हो गई थी।इस साल की शुरुआत में अन्ना हजारे ने कृषि कानूनों के खिलाफ अनशन की घोषणा की थी, जिसके खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। केंद्र ने अब इन कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दी है। उन्होंने तब कहा था कि कानून 'लोकतांत्रिक मूल्यों' का पालन नहीं करते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा था।हालांकि, बाद में अन्ना हजारे ने हड़ताल वापस ले ली। उन्होंने तब कहा था कि केंद्र ने उनके द्वारा उठाई गई 15 मांगों पर काम करने का फैसला किया है और इसके बाद ही उन्होंने यहा फैसला किया है।
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