महाराष्ट्र

अजित पवार ने 83 वर्षीय चाचा शरद पवार को 'रिटायर होकर 100 साल जीने' के लिए प्रेरित किया

Rani Sahu
5 July 2023 3:36 PM GMT
अजित पवार ने 83 वर्षीय चाचा शरद पवार को रिटायर होकर 100 साल जीने के लिए प्रेरित किया
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मुंबई (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने एक अभूतपूर्व व्यक्तिगत हमले में बुधवार को कहा कि उन्‍होंने अपने चाचा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संस्थापक-अध्यक्ष शरद पवार को एक तरह से 'संन्यास लेने के लिए मजबूर कर दिया, वह चाहते हैं कि चाचा रिटायर होकर 100 साल जिएं।
एनसीपी से अलग होकर सत्तारूढ़ शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी सरकार में शामिल हुए अजित पवार ने एक बैठक को संबोधित करते हुए शरद पवार के बारेे में कहा : “आपकी उम्र पहले से ही 83 वर्ष है… हर जगह सेवानिवृत्ति की आयु है, आईएएस अधिकारी 60 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्त होते हैं। राजनीति में भी हमने भाजपा नेताओं को 75 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते देखा है। लालकृष्ण आडवाणी या मुरली मनोहर जोशी इसके उदाहरण हैं। आप बस हमारा मार्गदर्शन करें और हमें अपना आशीर्वाद दें।”
64 वर्षीय अजीत पवार ने कहा कि जब वरिष्ठ लोग किनारे हट जाते हैं, तभी नई पीढ़ी के लिए आगे बढ़ने के लिए जगह बनती है, और आग्रह किया कि अब शरद पवार को अड़ियल रवैया छोड़ देना चाहिए और मार्गदर्शन करना चाहिए।
इस बात पर अफसोस जताते हुए कि उनका राजनीतिक करियर आगे नहीं बढ़ सका, अजित पवार ने वस्तुतः अपने रुके हुए राजनीतिक विकास के लिए अपने चाचा को दोषी ठहराया और कहा, ''फिर भी मुझे हमेशा खलनायक के रूप में चित्रित किया जाता है, क्योंकि मेरा जन्म किसी विशेष व्यक्ति से नहीं हुआ।''
उन्होंने कहा, ''मैं पांच बार डिप्टी सीएम बना हूं... मैं सीएम बनना चाहूंगा... यह शरद पवार के कारण है कि हमने राज्य में एनसीपी का सीएम बनाने के कई मौके गंवा दिए...।''
नए डिप्टी सीएम ने दावा किया कि 2004, 2017, 2019 और 2022 में इसके लिए संभावनाएं सामने आई थीं, "लेकिन अंतिम समय में इसे विफल कर दिया गया, क्योंकि शरद पवार ने पार्टी की बात नहीं मानी और एक अलग रुख अपनाया।"
अजित पवार ने दावा किया कि 2004 में एनसीपी के पास कांग्रेस से ज्यादा विधायक थे, लेकिन उन्होंने सीएम पद कांग्रेस को दे दिया, लेकिन अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया होता तो आज भी राज्य में एनसीपी का शासन होता।
फिर 2014 में जब भाजपा से प्रफुल्ल पटेल को बाहर से समर्थन देने के लिए कहा गया तो भाजपा ने कहा कि वह अपने 25 साल पुराने साथी शिवसेना को नहीं छोड़ सकती, इसलिए उसे भाजपा-शिवसेना-एनसीपी की सरकार बनानी होगी।
अजित पवार ने अपने चाचा पर हमला करते हुए कहा, “उस समय कहा गया कि शिवसेना घोर सांप्रदायिक पार्टी है... तो फिर 2019 में यह अचानक कैसे ठीक हो गया और भाजपा सांप्रदायिक हो गई? ऐसी चीजें काम नहीं कर सकतीं।''
यहां तक कि 2019 में भी पांच बैठकें हुईं, सभी हस्ताक्षर वाले पत्र तैयार थे और अचानक चीजें बदल गईं, और "मुझे चुप रहने के लिए कहा गया।" उन्होंने पूछा, "तब सरकार ने सुबह में शपथ क्यों ली थी।"
उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि राजनीति पूरी तरह से विकास के लिए है और शरद पवार ने 1978 में लोक कल्याण के लिए इसी तरह का निर्णय लिया था, जब (तत्कालीन) जनसंघ उनकी सरकार में शामिल हुआ था, "तो अब हम गलत कैसे हैं?"
अजित पवार ने दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और 1980 में आपातकाल के बाद उनके दोबारा चुने जाने का जिक्र किया और कहा कि अब भी देश को एक मजबूत और करिश्माई नेता की जरूरत है।
अजित पवार ने कहा, “2024 के चुनावों में पीएम नरेंद्र मोदी का कोई विकल्प नहीं है… यही सच्चाई है। यहां तक कि शरद पवार साहब ने भी यह कहा है।''
एनसीपी से बगावत करने और राज्य सरकार में शामिल होने के अपने गुट के फैसले को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि उनके सभी समर्थकों को विभिन्न तरीकों से लाभ होगा। उनकी पार्टी लगभग 90 सीटों, कई लोकसभा सीटों पर भी चुनाव लड़ेगी, विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में रुके हुए सभी विकास कार्यों को पूरी गति से आगे बढ़ाया जाएगा, जबकि अन्य पार्टी कार्यकर्ताओं को विभिन्न पद दिए जाएंगे।
अजीत पवार ने घोषणा की, “अगर हम सत्ता में रहकर राज्य के विकास में योगदान दे सकते हैं, तो क्यों नहीं दें। मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लंबित कार्यों को बिना किसी भेदभाव के पूरा किया जाएगा... हम 2014 या 2019 की तुलना में अधिक सीटें जीतेंगे।''
अजित पवार ने रविवार को अचानक महाराष्ट्र की राजनीति को हिलाकर रख दिया, लगभग तीन दर्जन विधायकों के साथ अचानक एनसीपी से बाहर चले गए और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस के साथ दूसरे डिप्टी सीएम के रूप में शामिल हो गए। उनके साथ अन्य 8 मंत्रियों ने भी शपथ ली। तीन दिन बाद (5 जुलाई) उन्होंने अपने गुट की पहली बैठक को संबोधित किया और इसे उन्‍होंने 'असली एनसीपी' के रूप में वर्णित किया। उन्होंने चुनाव आयोग के सामने अपने द्वारा स्थापित पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न आवंटित किए जाने का औपचारिक दावा पेश किया है।
बांद्रा के एमईटी ऑडिटोरियम में बुधवार की बैठक को प्रफुल्ल पटेल, छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, रूपाली चाकणकर और अन्य दिग्गजों ने जोरदार भाषणों से संबोधित किया, जबकि पार्टी के सचेतक अनिल पाटिल ने कम से कम 40 विधायकों के समर्थन का दावा किया।
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