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जलगांव : चार-पांच महीने पूर्व गोवंश (Cattle) के लम्पी चर्म रोग के पर नियंत्रण पा लिया गया है। लम्पी रोग (Lumpy Disease) के कारण जिले के जिन 731 पशुपालकों (Animal Husbandry) के पशुओं को मौत हुई थी, उन्हें सरकार की ओर से जारी की गई मुआवजे (Compensation) की 160 लाख रुपए की धनराशि जिला प्रशासन की ओर से वितरित कर दी गई है। लम्पी रोग निवारक टीके की मात्रा पशुपालन विभाग को मुहैया कराई गई थी, इसके अनुसार जिले में 99.99 प्रतिशत पशुधन का टीकाकरण अक्टूबर महीने पूरा होने पहले ही पूरा कर लिया गया। जिले के पशुपालक विभाग ने जानकारी दी है कि जलगांव जिले में लम्पी रोग अब पूरी तरह से नियंत्रण में आ गया है।
पशुपालन विभाग ने बताया कि जलगांव जिले में कोरोना महामारी की तरह ही लम्पी रोग का फैलाव हुआ। विशेष रूप से रावेर तहसील में जुलाई के दौरान किसानों के पशुधन पर लम्पी चर्म रोग का संक्रमण देखा गया। लम्पी रोग से जलगांव जिले के 15 तहसीलों में 23 हजार, 12 पशुधन प्रभावित हुए, इनमें से 20 हजार, 82 प्रभावित पशु उपचार के बाद पूरी तरह स्वस्थ हो गए। वर्तमान में विभिन्न तहसीलों में 2930 लम्पी रोग से प्रभावित पशुओं का इलाज चल रहा है। जिले के किसानों के गोवंश दुधारू और कृषि पशुओं में विगत तीन से चार महीने से लम्पी रोग (चर्म रोग) की जानकारी मिली है। जुलाई महीने में संक्रमण होने के बाद प्रभावित क्षेत्र के 5 किलोमीटर के दायरे में पशुओं के आने-जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इस रोग से बचने के लिए सरकार की ओर से वैक्सीन की तत्काल आपूर्ति करके तहसील स्तर पर पशु चिकित्सालय के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं का टीकाकरण अभियान चलाया गया। साथ ही किसानों और पशुपालकों को समय-समय पर मार्गदर्शन देकर उनसे अपील की गई कि वे अपने पशुओं का टीकाकरण करा लें।
सरकार के निर्देशानुसार स्वच्छ गोठा अभियान चलाया जा रहा
लम्पी रोग मच्छरों, मक्खियों, गोछियों से होता है, इसके लिए प्रभावी नियंत्रण के लिए सरकार के निर्देशानुसार स्वच्छ गोठा अभियान चलाया जा रहा है। जिला अधिकारी अमन मित्तल ने जिले के स्थानीय स्तर पर ग्राम पंचायत के माध्यम से गोठा स्वच्छता अभियान को क्रियान्वित करने के निर्देश दिये हैं। पशुपालकों को गोठा स्वच्छता अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेने और इस अभियान को क्रियान्वित करने का निर्देश दिया गया है।
बाजार में पशुओं की खरीद-बिक्री पर रोक
जलगांव जिले के अन्य तहसीलों में यह प्रभाव देखा गया था, तत्कालीन जिला अधिकारी अभिजीत राऊत ने तुरंत गौशाला में बैलों की पूजा करके और महामारी की रोकथाम के तहत एक सप्ताह के लिए बाजार में पशुओं की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के आदेश दिए। लम्पी रोग के प्रकोप से मरने वाले 731 पशुधन को सरकारी कोष से 160 लाख की आर्थिक सहायता डीबीटी के तहत पशुपालकों के खाते में जमा कराई गई है।
सोर्स - नवभारत.कॉम
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