मध्य प्रदेश

दो सप्ताह करना होगा इंतजार, 15 अगस्त को अफ्रीकन चीतों के आने पर संशय

Admin4
12 Aug 2022 9:39 AM GMT
दो सप्ताह करना होगा इंतजार, 15 अगस्त को अफ्रीकन चीतों के आने पर संशय
x

न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला

मध्य प्रदेश के श्योपुर के कूनो पालपुर नेशनल पार्क में अफ्रीकन चीतों के 15 अगस्त तक आने की संभावना खत्म हो गई है। इसका कारण दक्षिण अफ्रीका सरकार की स्वीकृति नहीं मिल पाना बताया जा रहा है। अब भारत के जंगलों में चीतों के दौड़ने के लिए दो सप्ताह का इंतजार करना होगा।

देश में सात दशक बाद चीतों का आगमन हो रहा है। मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क में तैयारियां हो गई हैं। चीता प्रोजेक्ट के तहत नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीतों को लाना है। नामीबिया से आठ चीते ( चार नर और चार मादा) मध्यप्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क में आने हैं। इसके बाद पांच साल में पचांस चीतों को पूरे देश में बसाया जाएगा। इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका से भी चीतों को लाया जाना है। इनके 13 अगस्त तक कूनो पालमपुर पहुंचने के संकेत दिए गए थे। लेकिन इसके लिए दक्षिण अफ्रीका सरकार की तरफ से अनुबंध की प्रक्रिया को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है।

वहीं, यह बात भी सामने आ रही है कि कूनो नेशनल पार्क में चीतों के बाढ़े तैयार करने में भी अभी कुछ कमियां रह गई है। चीतों के लिए 500 हेक्टेयर में एक बाड़ा बनाया गया है। जिसमें 10 अलग-अलग कंपार्टमेंट हैं। यहां पर बाढ़े में घुसे तेदुओं को भी अभी तक नहीं निकाला जा सका है। वहीं, हेलीपेड का काम भी बाकी है। कूनों में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट और एनटीसीए के अधिकारी भी पहुंचे हुए है। चीतों को जोहान्सबर्ग से दिल्ली लाया जाएंगे। इसके बाद दिल्ली से वायुसेना के हेलीकॉप्टर से कूनो लाया जाएगा।

748 वर्ग किमी में फैला है कूनो-पालपुर पार्क

कूनो-पालपुर नेशनल पार्क 748 वर्ग किलोमीटर में फैला है। यह छह हजार 800 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले खुले वन क्षेत्र का हिस्सा है। चीतों को लाने के बाद उन्हें सॉफ्ट रिलीज में रखा जाएगा। दो से तीन महीने वे बाड़े में रहेंगे। ताकि वे यहां के वातावरण में ढल जाए। इससे उनकी बेहतर निगरानी भी हो सकेगी। चार से पांच वर्ग किमी के बाड़े को चारों तरफ से फेंसिंग से कवर किया गया है। चीता का सिर छोटा, शरीर पतला और टांगे लंबी होती हैं। यह उसे दौड़ने में रफ्तार पकड़ने में मददगार होती है। चीता 120 किमी की रफ्तार से दौड़ सकता है।

1948 में आखिरी बार देखा गया था चीता

भारत में आखिरी बार चीता 1948 में देखा गया था। इसी वर्ष कोरिया राजा रामनुज सिंहदेव ने तीन चीतों का शिकार किया था। इसके बाद भारत में चीतों को नहीं देखा गया। इसके बाद 1952 में भारत में चीता प्रजाति की भारत में समाप्ति मानी।

1970 में एशियन चीते लाने की हुई कोशिश

भारत सरकार ने 1970 में एशियन चीतों को ईरान से लाने का प्रयास किया गया था। इसके लिए ईरान की सरकार से बातचीत भी की गई। लेकिन यह पहल सफल नहीं हो सकी। केंद्र सरकार की वर्तमान योजना के अनुसार पांच साल में 50 चीते लाए जाएंगे।

Admin4

Admin4

    Next Story