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खाद्य निगम की नीलामी प्रक्रिया से गेहूं व्यापारियों को किया बाहर
भोपाल न्यूज़: भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) ने खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत की जाने वाली साप्ताहिक ई-नीलामी की प्रक्रिया में गेहूं व्यापारियों को इसमें भाग लेने से मना कर दिया है. सरकार की ंमंशा गेहूं और उससे बनने वाले उत्पादों पर महंगाई पर लगाम लगाना है.
दरअसल कुछ मिलर्स ने यह बात उठाई थी कि गेहूं की अधिकांश खरीद ऐसे लोगों द्वारा की जा रही है जो सरकार से सस्ता गेहूं खरीदकर उसे मंडियों में ऊंचे दाम पर बेच रहे हैं. इस पर एफसीआइ ने व्यापारियों को इस गेहूं की खरीद प्रक्रिया से बाहर करने कर निर्णय लिया है. अब केवल प्रोसेसर्स, आटा चक्की और फ्लोर मिलर्स ही गेहूं की ई-नीलामी में सम्मिलित हो पाएंगे.
एफसीआइ के इस निर्णय से केवल वास्तविक उपयोगकर्ता ही सस्ते सरकारी गेहूं की खरीद कर पाएंगे जबकि व्यापारियों को इस नीलामी में भाग लेने की अनुमति नहीं होगी. जानकारों का कहना है कि अब तक हुई तीन साप्ताहिक ई-नीलामी के दौरान खाद्य निगम द्वारा मिलर्स को बहुत कम मात्रा में गेहूं की बिक्री की गई.
यदि व्यापारियों को इस नीलामी से दूर रखा जाता है तो खाद्य निगम को बिक्री की उच्चतम सीमा में बढ़ोत्तरी करनी चाहिए जो फिलहाल 100 टन निर्धारित है. इसका कारण यह है कि बड़े-बड़े फ्लोर मिलर्स द्वारा प्रति माह 3000 टन तक गेहूं की प्रोसेसिंग की जाती है जबकि नीलामी के तहत उसे हरेक महीने अधिक से अधिक 400 टन ही खरीदने का अवसर मिल सकता है. मिलर्स की क्वांटिटी बढ़ाई जाती है तो उन्हें बाहर से महंगे दाम पर गेहूं नहीं खरीदना पड़ेगा. भोपाल ग्रेन मर्चेन्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष हरीश ज्ञानचंदानी ने कहा कि इससे छोटे स्तर पर गेहूं का कारोबार करने वालों को परेशान होना पड़ेगा.
कोई भी नीति बने तो वह लंबे समय के लिए बने. सरकार के अचानक निर्णय लेने से कई छोटे गेहूं व्यापारी इस व्यापार से बाहर हो जाएंगे. व्यापारी भी सरकार की सेवा-शर्तों के हिसाब से ही तो गेहूं खरीद रहे थे. व्यापारी भी 100 टन ही माल ले रहा था.
हरीश ज्ञानचंदानी, अध्यक्ष
ग्रेन मर्चेन्ट एसोसिएशन, भोपाल