मध्य प्रदेश

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Shantanu Roy
16 Jun 2022 10:31 AM GMT
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बड़ी खबर

इंदौर। नगर निगम हुकमचंद मिल की बेशकीमती जमीन की लीज निरस्ती पर अड़ा हुआ है। मप्र हाई कोर्ट की एकलपीठ ने 15 मार्च 2022 को माना था कि नगर निगम को मिल की जमीन की लीज निरस्त करने का अधिकार नहीं है। इस आदेश को चुनौती देते हुए नगर निगम ने हाई कोर्ट की युगलपीठ के समक्ष अपील दायर की है। मिल मजदूर यूनियन की तरफ से पैरवी कर रहे वकील ने इसकी पुष्टि की है।



हुकमचंद मिल के मजदूर 30 साल से अपने हक के लिए भटक रहे हैं। 29 अक्टूबर 2010 को हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि मिल की जमीन बेचकर मजदूरों को 228 करोड़ 79 लाख 79 हजार 208 रुपये का भुगतान किया जाए लेकिन कई बार नीलामी निकालने के बावजूद मिल की जमीन बिक नहीं सकी। बिक्री में आसानी होने इस उद्देश्य से शासन ने मिल की जमीन का लैंड यूज औद्योगिक से बदलकर आवासीय और व्यवसायिक भी कर दिया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इस बीच जनवरी 2020 में हुए परिषद सम्मेलन में निगम ने मिल की जमीन की लीज निरस्त करने का प्रस्ताव पारित कर दिया।
मिल मजदूरों ने इसका विरोध करते हुए हाई कोर्ट में आवेदन प्रस्तुत किया। उनका कहना था कि मिल की जमीन बेचकर ही उनका भुगतान होना है। लीज ही निरस्त हो जाएगी तो उनके भुगतान का क्या होगा। 15 मार्च 2022 को हाई कोर्ट की एकल पीठ ने मजदूरों के पक्ष में आदेश देते हुए निगम परिषद के लीज निरस्ती के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने माना कि निगम को मिल की जमीन की लीज निरस्त करने का अधिकार नहीं है। मजदूरों की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट धीरजसिंह पंवार ने बताया कि निगम ने एकलपीठ के आदेश को चुनौती देते हुए युगलपीठ में अपील दायर कर दी है। गुरुवार को रजिस्ट्रार के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
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