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बैतूल। जिले में पिछले 15 दिन से लगातार हो रही वर्षा के कारण अब खरीफ सीजन की मुख्य फसल सोयाबीन समेत अन्य पर संकट मंडराने लगा है। जल भराव वाले खेतों में सोयाबीन, मक्का के पौधों में जड़ सड़न शुरू हो गया है और फसलें पीली हो रही हैं। मक्का, धान और गन्नो की फसल में बढ़वार थम गई है। ऐसे में अच्छी पैदावार की उम्मीद लगाए बैठे किसान चिंतित हो रहे हैं। सोमवार को सुबह तक हल्की वर्षा जारी रही। इसके बाद आसमान पर काले बादल तो छाए रहे पर वर्षा नही हुई है।
इस बार जिले में चार लाख 56 हजार हेक्टेयर रकबे में सोयाबीन, मक्का, धान, उड़द, तुअर समेत अन्य खरीफ फसलों की बुवाई की गई है। सबसे अधिक रकबा सोयाबीन का है और लगातार वर्षा से उस पर ही खतरा बढ़ रहा है। समय पर मानसून की दस्तक हो जाने से जिले में 15 से 20 जून तक खरीफ फसलों की 90 प्रतिशत बुवाई हो गई थी। 35 दिन से अधिक अवधि की फसल हो जाने के बाद भी पौधों में बढ़वार ही नही हो पाई है। कृषक संदीप चौधरी ने बताया कि सोयाबीन की बुवाई के बाद से ही लगातार वर्षा जारी है।
इससे पौधों में वृद्धि ही नहीं हो पा रही है। सोयाबीन की अधिकांश किस्में 90 से 100 दिन में पकने की अवस्था में पहुंच जाती है। वर्तमान में फसल 30 से 40 दिन की हो गई है लेकिन अब तक 10 से 15 इंच का ही पौधा बन पाया है। अब वर्षा का दौर नहीं थमा तो कुछ दिन के बाद फसल में फूल लगने की अवस्था आ जाएगी और पौधा छोटा रहने से पैदावार आधी से भी कम होगी। मक्का की खेती करने वाले किसान अनिल जैन ने बताया कि इस बार लगातार वर्षा जारी रहने से मक्का के अंकुरण के बाद खाद नही दे पाए हैं।
इसके साथ ही खेतों में लगातार पानी भरा रहने से पौधों की पत्तियां पीली पड़ गई हैं। वर्षा जारी रहने से खरपतवार पर भी नियंत्रण नही कर पा रहे हैं। मक्का के पौधों की बढ़वार न हो पाने के कारण पैदावार पर खासा असर पड़ जाएगा। बुवाई के बाद किसानों को उम्मीद थी कि मौसम खुलने पर खाद डालने का मौका मिल जाएगा लेकिन लगातार वर्षा जारी रहने से किसान हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने के लिए मजबूर हो रहे हैं।