मध्य प्रदेश

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Shantanu Roy
25 July 2022 2:32 PM GMT
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बड़ी खबर

बैतूल। जिले में पिछले 15 दिन से लगातार हो रही वर्षा के कारण अब खरीफ सीजन की मुख्य फसल सोयाबीन समेत अन्य पर संकट मंडराने लगा है। जल भराव वाले खेतों में सोयाबीन, मक्का के पौधों में जड़ सड़न शुरू हो गया है और फसलें पीली हो रही हैं। मक्का, धान और गन्नो की फसल में बढ़वार थम गई है। ऐसे में अच्छी पैदावार की उम्मीद लगाए बैठे किसान चिंतित हो रहे हैं। सोमवार को सुबह तक हल्की वर्षा जारी रही। इसके बाद आसमान पर काले बादल तो छाए रहे पर वर्षा नही हुई है।

इस बार जिले में चार लाख 56 हजार हेक्टेयर रकबे में सोयाबीन, मक्का, धान, उड़द, तुअर समेत अन्य खरीफ फसलों की बुवाई की गई है। सबसे अधिक रकबा सोयाबीन का है और लगातार वर्षा से उस पर ही खतरा बढ़ रहा है। समय पर मानसून की दस्तक हो जाने से जिले में 15 से 20 जून तक खरीफ फसलों की 90 प्रतिशत बुवाई हो गई थी। 35 दिन से अधिक अवधि की फसल हो जाने के बाद भी पौधों में बढ़वार ही नही हो पाई है। कृषक संदीप चौधरी ने बताया कि सोयाबीन की बुवाई के बाद से ही लगातार वर्षा जारी है।

इससे पौधों में वृद्धि ही नहीं हो पा रही है। सोयाबीन की अधिकांश किस्में 90 से 100 दिन में पकने की अवस्था में पहुंच जाती है। वर्तमान में फसल 30 से 40 दिन की हो गई है लेकिन अब तक 10 से 15 इंच का ही पौधा बन पाया है। अब वर्षा का दौर नहीं थमा तो कुछ दिन के बाद फसल में फूल लगने की अवस्था आ जाएगी और पौधा छोटा रहने से पैदावार आधी से भी कम होगी। मक्का की खेती करने वाले किसान अनिल जैन ने बताया कि इस बार लगातार वर्षा जारी रहने से मक्का के अंकुरण के बाद खाद नही दे पाए हैं।

इसके साथ ही खेतों में लगातार पानी भरा रहने से पौधों की पत्तियां पीली पड़ गई हैं। वर्षा जारी रहने से खरपतवार पर भी नियंत्रण नही कर पा रहे हैं। मक्का के पौधों की बढ़वार न हो पाने के कारण पैदावार पर खासा असर पड़ जाएगा। बुवाई के बाद किसानों को उम्मीद थी कि मौसम खुलने पर खाद डालने का मौका मिल जाएगा लेकिन लगातार वर्षा जारी रहने से किसान हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

सोयाबीन का रकबा बढ़ा
जिले में इस बार मक्का का रकबा कम हो गया है और किसानों ने सोयाबीन के बढ़ते दामों को देखकर अधिक रकबे में बुवाई तो कर दी है लेकिन वर्षा के कारण अब फसल खराब हो रही है। कृषक मधु पवार ने बताया कि सोयाबीन की बुवाई के बाद से लगातार वर्षा हो रही है। इससे जड़ सड़न बढ़ रहा है। खेतों में पानी भरा हुआ है और पौधों की बढ़वार भी नही हो रही है। वर्षा जारी रहने के कारण खेतों में चलना भी मुश्किल हो रहा है। किसान लाख प्रयास कर भी लें तो जमा हुआ पानी बाहर नहीं निकाल पा रहे हैं। पौधे लगातार पानी में डूबे हुए हैं इससे खासा नुकसान पहुंचने की आशंका बनी हुई है।
कृषि विभाग नहीं दे पा रहा सलाह
जिले में कृषि विभाग का अमला किसानों को अतिवर्षा से फसलों को बचाने के लिए न तो कोई सलाह दे पा रहा है और न ही मैदानी अमला खेतों का भ्रमण कर रहा है। हालत यह है कि किसान निजी खाद-और दवा विक्रेताओं के पास पहुंचकर सलाह मांग रहे हैं। कई लोग तो किसानों को अलग-अलग कंपनी की दवा, पौधों की बढ़वार करने के नाम पर पोषक तत्वों की दवा बेचने का काम करने लगे है। ऐसे में किसान आर्थिक रूप से नुकसान भी उठा रहे हैं। जिले में कृषि विज्ञान केंद्र होने के बाद भी वहां के विज्ञानी किसानों को कोई मदद नहीं पहुंचा पा रहे हैं। यदि यही स्थिति बनी रही तो खरीफ सीजन की सभी फसलों से बेहतर पैदावार मिलना बेहद कठिन हो जाएगा।
गन्नाा की बाढ़ थमी
जिले में करीब 30 हजार हेक्टेयर रकबे में गन्नो की खेती की जा रही है। लगातार वर्षा जारी रहने से गन्नाा की फसल में भी बढ़वार थम गई है। किसान अवधेश वर्मा ने बताया कि जून के माह में गन्नाा जिस स्थिति में था अब भी वैसा ही है। यदि वर्षा का दौर नहीं थमा तो पैदावार पर बेहद विपरीत असर पड़ेगा। खेतों में पानी भरा हुआ है जिससे अब गन्नाा गिरने भी लगा है। किसान उसकी बंधाई का कार्य भी वर्षा जारी रहने की वजह से नहीं कर पा रहे हैं। कृषि विज्ञानी वीके वर्मा ने बताया कि लगातार वर्षा से खरीफ सीजन की फसलों पर विपरीत असर पड़ रहा है। पौधे पीले हो रहे हैं और कीट प्रकोप भी तेजी से हो रहा है। वर्षा थमने पर ही पौधों की बढ़वार होगी और किसान कीट प्रबंधन कर पाएंगे।
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