मध्य प्रदेश

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Shantanu Roy
18 Jun 2022 2:50 PM GMT
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बड़ी खबर

गुना। पूर्व विधायक राजेंद्रसिंह सलूजा के इस निकाय चुनाव में परिवार के किसी भी सदस्य के चुनाव न लड़ने का फैसला लिया है। हालांकि, सलूजा ने इसकी वजह टिकट वितरण में भाजपा के मूल कार्यकर्ता की अनदेखी बताई है। लेकिन राजनैतिक हल्कों में उनके इस निर्णय के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं।

क्योंकि, एक ओर टिकट देने में सिंधिया गुट की मौज दिखाई दे रही है, वहीं असंतुष्टों का कुनबा भी बढ़ा है, जिससे भितरघात की संभावना बन रही है। ऐसे में 'अध्यक्षी' की डगर भी कठिन हो सकती है। चूंकि, सलूजा जमीनी नेता माने जाते हैं, तो शायद उन्होंने धरातल की हकीकत का अहसास कर लिया हो। खैर, कारण जो भी रहे हों, लेकिन पार्टी में हलचल तो मच ही गई है।

दरअसल, नगरीय निकाय चुनाव के लिए टिकट वितरण में भाजपा के दो धड़ों में बंटे होने की चर्चाओं पर पूर्व विधायक राजेंद्रसिंह सलूजा ने मुहर लगा दी है। क्योंकि, उन्होंने कहा है कि पार्टी के मूल कार्यकर्ता का सम्मान नहीं रखा गया इसलिए उनके परिवार से भी कोई सदस्य चुनाव नहीं लड़ेगा। इसका सीधा मतलब है कि भाजपा दो गुटों (मूल भाजपा और सिंधिया भाजपा) में विभाजित है। इधर, भाजपा द्वारा पार्षद प्रत्याशियों की सूची देखें, तो 37 में से 13 वार्डों में सिंधिया समर्थक ही उम्मीदवार हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जो कार्यकर्ता लंबे समय से पार्टी का झंडा-बैनर उठाते रहे हैं, उन्हें कदम पीछे खींचना पड़े होंगे। हालांकि, इस संबंध में भाजपा के जिलाध्यक्ष गजेंद्रसिंह सिकरवार कहते हैं कि पार्टी में गुट नहीं चलते हैं, बल्कि परिवार होता है। इसलिए दो धड़ों में बंटने जैसी बातें स्वतः ही निराधार हो जाती हैं।
इधर सूची तैयार, उधर सलूजा ने खींचे कदम
टिकट वितरण को लेकर भाजपा की कोर कमेटी की बैठक हुई थी, जिसमें सिंधिया समर्थक दो मंत्रियों के अलावा जिलाध्यक्ष, विधायक और निकाय चुनाव के जिला प्रभारी भी शामिल हुए थे। पार्टी के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि इस दौरान पैनल में आए नामों पर विचार किया गया। इस दौरान सलूजा की ओर से भी उन नामों की पैरवी की गई, जो वार्ड में वजूद रखते हैं और जिताऊ उम्मीदवार साबित हों। अगली सुबह पार्टी ने सूची जारी कर दी, तो उसी दिन सलूजा ने पत्नी को टिकट मिलने के बाद भी नाम वापस लेने का फैसला सुना दिया। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि सलूजा अपने जिन तीन समर्थकों को टिकट दिलाना चाह रहे थे, उसमें कामयाब नहीं पाए।
अंतिम दिन समर्थकों के भरवाए फार्म
कलेक्ट्रेट में नामांकन पत्र दाखिले के अंतिम दिन ऐसे कई अभ्यर्थी दिखाई दिए, जिन्हें भले ही पार्टी ने उम्मीदवार न बनाया हो, लेकिन फार्म भर गए। इनमें कुछ सलूजा समर्थक भी नजर आए। ताकि जिस वार्ड-9 से सलूजा की पत्नी को भाजपा ने टिकट दिया था, उससे चुनाव नहीं लड़ती हैं, तो 'अपना' समर्थक निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में रह सके।
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