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VIDEO: कंप्यूटर बाबा पर एक्शन जारी, फिर चला बुलडोजर
कंप्यूटर बाबा के नाम से प्रसिद्ध नामदेव दास त्यागी की अवैध संपत्तियों पर मध्य प्रदेश प्रशासन की कार्रवाई दूसरे दिन भी जारी है. प्रशासन ने सोमवार को कंप्यूटर बाबा की एक और संपत्ति पर कार्रवाई की, जिसके तहत सुपर कॉरिडोर में किए गए अतिक्रमण को ढहा दिया गया है. इस कार्रवाई में इंदौर विकास प्राधिकरण की 151 योजना में शामिल लगभग पांच करोड़ रुपये मूल्य की 20 हज़ार वर्गफीट ज़मीन मुक्त कराई गई है. कम्प्यूटर बाबा पर 46 एकड़ गोशाला की जमीन पर कब्जा करने का आरोप है.
#WATCH Madhya Pradesh: District administration continues its demolition drive against illegal constructions belonging to Computer Baba in Indore.
— ANI (@ANI) November 9, 2020
Visuals of authorities demolishing encroachments in Super Corridor area of Indore pic.twitter.com/j3GVs3aMZh
इससे पहले रविवार को कंप्यूटर बाबा द्वारा करीब 46 एकड़ जमीन पर की गई अतिक्रमण पर कार्रवाई करते हुए 80 करोड़ मूल्य की जमीन को अतिक्रमण से इंदौर प्रशासन ने खाली करवा लिया था. इसके अलावा कंप्यूटर बाबा पर धारा 151 के तहत कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल भी भेज दिया गया है. रविवार को प्रशासन ने कार्रवाई के दौरान कंप्यूटर बाबा के आश्रम से हथियार, कई जमीनों के कागजात और कई सारे बैंक अकाउंट नंबर भी बरामद किए हैं.
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष, महामंडलेश्वर नरेंद्र गिरी जी महाराज ने कंप्यूटर बाबा के खिलाफ इस कार्रवाई को सही ठहराया है. उन्होंने कहा कि कंप्यूटर का नाम ही अजीबो गरीब है. गोशाला की जमीन पर कंप्यूटर ने आधुनिक महल बना रखा था. आश्रम में बहुत सी अमर्यादित वस्तुएं मिली हैं, जो संतो के पास नहीं होनी चाहिए. कंप्यूटर अपने फायदे के लिए राजनीतिक दामन बदलता रहता था.
उन्होंने कहा कि कंप्यूटर की इसी कार्यशैली से नाराज होकर उसे दिगम्बर अखाड़ा से बाहर कर दिया गया था. हालांकि बाद में उन्हें शामिल किया गया था. जैसी करनी, वैसी भरनी. अच्छा होता अगर वो गोशाला की जमीन पर गायों के लिए गोशाला बनाते क्योंकि वह गोचर जमीन थी लेकिन आपने वहां अपनी सुविधा के लिए महल बना लिया. संतों के आश्रम में असलहों का क्या काम है?
बता दें, कंप्यूटर बाबा को 2018 में तत्कालीन शिवराज सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया था. लेकिन 2018 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने कांग्रेस का साथ देने का मन बनाया और पद से इस्तीफा देने के बाद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए प्रचार किया था. मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद कंप्यूटर बाबा को इसका तोहफा भी मिला और तत्कालीन कमलनाथ सरकार में उन्हें नर्मदा-क्षिप्रा नदी न्यास का अध्यक्ष बनाया गया था.