मध्य प्रदेश

Ujjain: इस बार महाकाल मंदिर में 9 की जगह 10 दिन मनाया जाएगा महाशिवरात्रि उत्सव

Renuka Sahu
14 Feb 2025 1:10 AM GMT
Ujjain: इस बार महाकाल मंदिर में 9 की जगह 10 दिन मनाया जाएगा महाशिवरात्रि उत्सव
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Ujjain उज्जैन: वैसे तो उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि का पर्व हर साल नौ दिनों तक बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इस साल एक तिथि बढ़ने से श्री महाकालेश्वर मंदिर में यह पर्व 10 दिनों तक बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा. महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व की तैयारियां बड़ी धूमधाम से चल रही हैं, जिसके लिए मंदिर की रंगाई-पुताई के साथ ही गर्भगृह में लगे चांदी के दरवाजों की सफाई भी की जा रही है और दीवारों की भी सफाई की जा रही है. महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व को नौ दिनों तक पारंपरिक उत्सव के रूप में मनाने की परंपरा है. धार्मिक नगरी उज्जैन बाबा महाकाल जो इस नगरी के राजा हैं. उनके साथ ही मां भगवती सती का शरीर का अंग भी यहां गिरा था, इसीलिए यहां महाशिवरात्रि पर्व को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है. इस दौरान महाकालेश्वर मंदिर के कोटि तीर्थ पर विराजमान कोटेश्वर महादेव की पूजा की जाती है, जिसके बाद बाबा महाकाल का अभिषेक, लघु अभिषेक और चल प्रतिमाओं के माध्यम से प्रतिदिन भगवान का श्रृंगार किया जाता है।
महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि इस वर्ष शिव नवरात्रि महोत्सव दो दिन फाल्गुन कृष्ण पक्ष की सप्तमी 19 और 20 फरवरी को है। इसलिए यह महोत्सव 10 दिन तक धूमधाम से मनाया जाएगा। मंदिर में शिव नवरात्रि पर बाबा महाकाल 9 दिन तक अलग-अलग स्वरूपों में दर्शन देते हैं, लेकिन इस वर्ष 10 दिवसीय शिव नवरात्रि महोत्सव होने के कारण जिस प्रकार शिवरात्रि के प्रथम दिन बाबा महाकाल का चंदन और वस्त्र से श्रृंगार किया जाएगा, वैसा ही श्रृंगार दूसरे दिन भी किया जाएगा। इसके बाद तीसरे दिन से अंतिम दिन तक क्रमिक श्रृंगार किया जाएगा।
इस वर्ष विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में शिव नवरात्रि महोत्सव का 10 दिवसीय आयोजन 17 फरवरी से प्रारंभ होगा। 26 फरवरी को महाशिवरात्रि तक भगवान का नौ स्वरूपों में आकर्षक शृंगार किया जाएगा। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में महाशिवरात्रि पर फाल्गुन कृष्ण पंचमी से फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी तक शिव नवरात्रि महोत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष शिव नवरात्रि 17 फरवरी को फाल्गुन कृष्ण पंचमी की पूजा के साथ शुरू होगी।
सुबह 8 बजे पुजारी कोटितीर्थ कुंड के पास स्थित श्री कोटेश्वर महादेव का अभिषेक-पूजन कर हल्दी चढ़ाएंगे। करीब डेढ़ घंटे की पूजा के बाद सुबह 9.30 बजे से गर्भगृह में भगवान महाकाल का पूजन होगा। पुजारी भगवान महाकाल का पंचामृत अभिषेक कर पूजन करेंगे। इसके बाद 11 ब्राह्मणों द्वारा रुद्रपाठ कराया जाएगा। इसके बाद दोपहर 1 बजे भोग आरती की जाएगी। दोपहर 3 बजे संध्या पूजा के बाद भगवान का नौ दिनों तक अलग-अलग स्वरूपों में शृंगार किया जाएगा।
इन स्वरूपों में दर्शन देंगे बाबा महाकाल-
पहला दिन वस्त्र धारण- 17 फरवरी सोमवार को शिव नवरात्रि के पहले दिन बाबा महाकाल का चंदन से श्रृंगार किया जाएगा.
दूसरा दिन- 18 फरवरी मंगलवार को दूसरे दिन बाबा महाकाल का चंदन से श्रृंगार किया जाएगा.
तीसरा दिन शेषनाग- 19 फरवरी बुधवार को बाबा महाकाल का शेषनाग रूप में श्रृंगार किया जाता है।
चौथे दिन घटाटोप- 20 फरवरी गुरुवार को बाबा महाकाल भक्तों को घटाटोप रूप में दर्शन देंगे.
5वें दिन छबीना- 21 फरवरी शुक्रवार को 5वें दिन बाबा महाकाल का छबीना श्रृंगार किया जाता है, जो कि एक राजकुमार की तरह किया जाता है.
छठे दिन होल्कर- शिव नवरात्रि के छठे दिन 22 फरवरी शनिवार को महाकाल बाबा को होलकर परंपराओं के अनुसार सजाया जाएगा.
सातवें दिन मनमहेश- शिव नवरात्रि के सातवें दिन 23 फरवरी रविवार को बाबा महाकाल को मनमहेश के रूप में सजाया जाएगा.
आठवां दिन उमा महेश- 24 फरवरी सोमवार को बाबा महाकाल माता पार्वती के साथ उमा-महेश के रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं.
नवां दिन शिव तांडव- नवां दिन 25 फरवरी मंगलवार को बाबा महाकाल शिव तांडव के रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं.
दसवां दिन निराकार- 26 फरवरी बुधवार को शिव नवरात्रि के आखिरी दिन में महाकाल को दूल्हे के रूप में सजाया जाता है. कई क्विंटल फूलों का सेहरा बाबा को पहनाया जाता है.
ऐसी होती है श्रृंगार सामग्री की व्यवस्था-
बाबा महाकाल के श्रृंगार में उपयोग में लाई जाने वाली सामग्री को लेकर जब महाकाल मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि महाशिवरात्रि पर होने वाले संपूर्ण खर्च का वहन श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति के द्वारा किया जाता है. मंदिर में प्रतिदिन ही दान के साथ ही श्रद्धालु बाबा महाकाल को रजत मुकुट, मुंडमाला, जलधारी और श्रृंगार सामग्री अर्पित करते हैं, जिसे कोठार शाखा में जमा करवा दिया जाता है और ऐसे उत्सव के समय इन सामग्रियों का उपयोग भगवान के श्रृंगार के रूप में किया जाता है. कहने को तो बाबा महाकाल नौ स्वरूप में शिव नवरात्रि के दौरान दर्शन देंगे, लेकिन बाबा महाकाल को प्रतिदिन इतना दान आता है कि इस श्रृंगार के लिए श्री महाकालेश्वर समिति को परेशान नहीं होना पड़ता है|
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