मध्य प्रदेश

Ujjain Mahakaleshwar: महाकाल की पूजा में कोटितीर्थ कुंड का महत्व

Bharti Sahu 2
7 Aug 2024 4:20 AM GMT
Ujjain Mahakaleshwar: महाकाल की पूजा में कोटितीर्थ कुंड का महत्व
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Ujjain Mahakaleshwar: उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दौरान भस्म आरती से पहले किए जाने वाले जलाभिषेक का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस जल में भारत के सभी तीर्थों का पवित्र जल समाहित होता है इस पवित्र जल की विशेषताएं और इसका इतिहास सदियों से लोगों को आकर्षित करता रहा है।
कोटि तीर्थ कुंड का अद्भुत जल
महाकालेश्वर मंदिर में भगवान शिव की पूजा में प्रयुक्त होने वाला पवित्र जल कोटि तीर्थ कुंड से लाया जाता है। यह कुंड मंदिर परिसर में स्थित एक प्राकृतिक जल स्रोत है। मान्यता है कि इस कुंड का जल अनेक औषधीय गुणों से भरपूर है और इसका सेवन करने से अनेक रोग दूर होते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस जल में स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। सदियों से शिप्रा नदी और इस पवित्र कुंड के जल से महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का अभिषेक किया जा रहा है, जिससे यह कुंड भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र स्थल बन गया है।
हरिओम जल का महत्व
महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन भगवान महाकाल की पूजा-अर्चना के दौरान कोटि तीर्थ कुंड से लाए गए पवित्र जल का विशेष महत्व है। इस जल को ‘हरिओम जल’ कहा जाता है। सूर्योदय से पहले मंदिर की सफाई के बाद भगवान महाकाल को स्नान कराया जाता है और फिर पंचामृत अभिषेक किया जाता है, जिसमें इसी हरिओम जल का उपयोग होता है। यह जल न केवल भगवान महाकाल की पूजा में बल्कि मंदिर में आने वाले भक्तों के लिए भी अत्यंत पवित्र माना जाता है।
कोटि तीर्थ कुंड का पौराणिक महत्व
उज्जैन की पावन धरा पर स्थित कोटि तीर्थ कुंड का धार्मिक महत्व अत्यंत गहरा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीराम के लंका विजय के बाद जब यज्ञ का आयोजन किया गया था, तब सभी तीर्थों का जल एकत्र करने का दायित्व भगवान हनुमान को सौंपा गया था। जब हनुमानजी अवंतिका यानी उज्जैन पहुंचे, तो उन्होंने इस कुंड में सभी तीर्थों का जल अर्पित किया।
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