मध्य प्रदेश

भोपालवासियों की धार्मिक आस्था से जुड़े हैं पेड़, उन्हीं के नाम से हैं गलियां व चौराहे

Admin Delhi 1
8 Jun 2023 7:17 AM GMT
भोपालवासियों की धार्मिक आस्था से जुड़े हैं पेड़, उन्हीं के नाम से हैं गलियां व चौराहे
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भोपाल न्यूज़: लेक सिटी, ग्रीन सिटी यूं ही हरियाली के लिए प्रसिद्ध नहीं है. यहां बहुत पहले से ही वृक्षों और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम हो रहा है. यहां के पेड़-पौधे और हरियाली धर्म से भी जुड़े हैं. शहर में कई धार्मिक स्थल हैं जो पेड़ों से जुड़े हैं. उनके नाम के पेड़ जुड़े हैं. तो शहर में एक दर्जन से ज्यादा ऐसी मस्जिद हैं जो पेड़ों के नाम पर हैं. तो बड़वाले महादेव और पीपलेश्वर मंदिर भी यहां हैं.

सौ साल से ज्यादा पुरानी नीम वाली मस्जिद

जहांगीराबाद क्षेत्र में सौ साल से भी ज्यादा पुरानी नीम वाली मस्जिद है. इसके गेट पर नीम का पेड़ है. इसीलिए यही नाम पड़ गया. यह पूरी सड़क पेड़ के नाम से जानी जाती है. बाग दिलकुशा में इमली वाली मस्जिद है. हालांकि, अब यह पेड़ नहीं है. लेकिन नाम जिंदा है. जहांगीराबाद क्षेत्र में बरगद के पेड़ से बड़वाली मस्जिद है. तो आम के पेड़ के नाम आम वाली मस्जिद की पहचान है.

बड़ की जड़ से निकले थे महादेव: बड़वाले महादेव मंदिर बरगद के पेड़ से प्रसिद्ध है. जनश्रुति है बरगद के पेड़ की जड़ से शिवलिंग निकला था.

दरख्तों की हिफाजत सभी को करना चाहिए. कई मस्जिदें दरख्तों के नाम पर हैं जो पेड़ों को बचाने का संदेश देती हैं.

मुश्ताक अली नदवी, शहर काजी

बड़ की जड़ से महादेव प्रकट हुए थे. इसी के चलते बड़वाले महादेव के नाम से मंदिर जाना जाता है. जो प्रकृति संरक्षण का संदेश देती है.

प्रकाश मालवीय, बड़वाले महादेव मंदिर से जुड़े

शहर में पीपल के 2 हजार से ज्यादा पेड़ हैें, बरगद के लगभग 700 बड़े पेड़ हैं, सबसे पुराना पीपल का पेड़ कमला पार्क के पास 120 से 125 साल का, सबसे पुराना बड़ का पेड़ हाथीखाना में 140 साल पुराना

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अब पेट्रोल पंप पर ई-चार्जिंग की सुविधा

शहर में पेट्रोल पंप पर इलेक्ट्रिक कार चार्ज करने की सुविधा शुरू की जा रही है. इसके तहत गुलमोहर से जुड़े आइओसी के आदर्श पेट्रोल पंप पर चार्जिंग पाइंट लगाया गया है. धीरे-धीरे इसे अन्य तक बढ़ाया जाएगा. इतना ही नहीं, अब इलेक्ट्रिक कारों को चार्ज करने बिजली कंपनी भी चार्जिंग स्टेशन स्थापित करेगा. अभी शहर में इलेक्ट्रिक कार चार्ज करने पूरी अधोसंरचना विकसित नहीं है. यही वजह है कि शहर में इलेक्ट्रिक कारों की संख्या बढ़ नहीं पा रही.

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