मध्य प्रदेश

आज है ग्वालियर के गौरव की पुण्यतिथि, जानिए कैसा रहा उनका जीवन

Bhumika Sahu
16 Aug 2022 11:04 AM GMT
आज है ग्वालियर के गौरव की पुण्यतिथि, जानिए कैसा रहा उनका जीवन
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जानिए कैसा रहा उनका जीवन

ग्वालियर/ब्यूरो। भारतीय जनता पार्टी के स्तम्भ पुरुष भूतपूर्व प्रधान मंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेयी की आज चतुर्थ पुण्यतिथि है। आपको बता दे की अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। भाजपा के स्तम्भ पुरुष ने अपने राजनैतिक जीवन की शुरुवात 15 वर्ष की आयु में सन 1939 में राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ से जुड़ कर की। आपको बता दे की अटल बिहारी वाजपेयी अपनी कुशल वक्तृत्व कला, अपनी काव्य रचना और संघठन क्षमता के कारण पहचाने जाते थे।

प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ से जुड़ने के बाद सन 1947 में अविवाहित रहने का संकल्प लिया और फिर राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन कार्य किया। प्रचारक रहते उन्होंने भारत के कई स्थानों पर संघ को मजबूत किया और संघ की कई शाखाएं खड़ी की अटल बिहारी ने संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिवराव गोलवलकर के मार्दर्शन में भी कई बड़े बड़े कार्य किये, अटल बिहारी वाजपेयी ने सन 1957 में सक्रिय रूप से राजनितिक जीवन में कदम रखा और सन 1957 में लोकसभा के लिए चुने गए। अपनी राजनितिक जीवन की शुरुवात लोकसभा के सदस्य के रूप में की और सन 1979 में विदेश मंत्री का दायित्व संभाला।
अटल बिहारी वाजपेयी ने 1996 में प्रधान मंत्री बनते ही परमाणु परिक्षण की तैयारी शुरू की। और विश्व में नया कीर्तिमान रच दिया जिसके चलते 11मई 1998 को अमेरीकी प्रतिबंधों को दर किनार कर पोखरण में 5 परमाणु बमों का परीक्षण कर भारत को परमाणु सम्पन्न राष्ट्र बनाया। वाजपेयी ने सन 1999 में पाकिस्तानी मंसूबो को ध्वस्त कर करगील युद्ध में सेना ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 26 जुलाई 1999 को विजय प्राप्त की। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक कार्य किये
अटल बिहारी वाजपेयी को 2018 में किडनी में संक्रमण और कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था, जहाँ 16 अगस्त 2018 को उनकी मृत्यु हो गयी। जिसके बाद १७ अगस्त को हिंदू संस्कृति पद्धति के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया । उनकी दत्‍तक पुत्री नमिता कौल भट्टाचार्या ने उन्हें मुखाग्नि दी।


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