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news क्रेडिट ;amarujala
वर्ल्ड टाइगर दिवस पर इंदौर के चिड़ियाघर से दुखद खबर सामने आई। दुनिया के पहले तीन रंग के दुर्लभ बाघ शावक की शुक्रवार को मौत हो गई। दो दिन पहले एक अन्य बाघ शावक की मौत हो गई थी। रविवार को सफेद बाघिन रागिनी ने तीन शावकों को जन्म दिया था, जिनमें से सिर्फ एक ही जीवित बचा है। इंदौर के चिड़ियाघर में अब कुल 13 बाघ रह गए हैं।
सफेद बाघिन रागिनी ने रविवार को तीन शावकों को जन्म दिया था। इसमें दुर्लभ तीन रंगों वाला शावक भी शामिल था। शुक्रवार दोपहर तक बाघिन दो शावकों के साथ नजर आई। शाम को एक ही बाघ नजर आया। चिड़ियाघर प्रबंधन ने जांच में पाया कि दूसरे शावक की भी मौत हो गई है। अब केवल एक शावक बचा है, जो सफेद और काले रंग का है।
चिड़ियाघर के प्रभारी डा. उत्तम यादव ने बताया कि रविवार को ही बाघिन रागिनी ने तीन रंग (सफेद, पीला और काला) के शावक को जन्म दिया था। इस तरह के रंग संयोजन का बाघ दुनिया में कहीं भी नहीं है। अब तक यह शावक स्वस्थ लग रहा था, लेकिन शुक्रवार को खुद बाघिन ही इसे खा गई। यह स्पष्ट नहीं है कि प्राकृतिक मौत के बाद बाघिन ने उसे खाया या बीमार होने पर मार दिया। यह वन्य जीवन का हिस्सा है। आप वन्यप्राणियों के व्यवहार का अनुमान नहीं लगा सकते। फिलहाल वह तीसरे शावक का ख्याल रख रही है। हम शावक और बाघिन के बीच किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करेंगे। ऐसा करने से वह भड़क सकती है और शावक पर हमला कर सकती है।
इंदौर चिड़ियाघर में 12 साल में 29 बाघों का जन्म
2010 से अब तक इंदौर के चिड़ियाघर में 29 शावकों का जन्म हुआ है। इनमें से सात की मौत हुई है। इससे पहले 2018 में एक शावक की मौत हुई थी। जो दो बाघ शावक मारे गए हैं, उनका जन्म 12 साल की सफेद बाघिन रागिनी और पांच साल के बाघ विक्की से हुआ था। जीवों में रंग के लिए मेलानिन यानी प्राकृतिक रंगद्रव्य पिगमेंट जिम्मेदार होता है। इसी के रूप यूमेलेनिन के प्रभाव से त्वचा का रंग बदलता है। एक ही प्रजाति के जीवों में अलग-अलग रंग इसी रंगद्रव्य के असंतुलन से होता है। काले बाघ और सफेद बाघिन के बीच मेलमिलाप से शावक जन्मे, इसलिए बालों का अलग रंग प्रभावी हो गया। इसमें काला और सफेद रंग बाघ-बाघिन से तथा स्वाभाविक पीला रंग मूल प्रजाति से प्रभावी हुआ।