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श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क में खुले जंगल में घूम रही मादा चीता 'निर्भया' राडार से बाहर हो गई है। उसका रेडियो कॉलर खराब हो गया है। इससे उसे ट्रेस करना मुश्किल हो गया है। कूनो प्रबंधन खुले जंगल में घूम रहे चीतों को बाड़े में लाकर उनके रेडियो कॉलर निकालने में जुटा है। रेडियो कॉलर की वजह से हुए इन्फेक्शन ने प्रोजेक्ट चीता पर सवालिया निशान लगा रखे हैं।
कूनो नेशनल पार्क के अधिकारियों को निर्भया का कोई सुराग नहीं मिल रहा है। कूनो पार्क प्रबंधन कई दिनों से सर्चिंग ऑपरेशन चला रहा है। इसके बाद भी कोई सफलता नहीं मिली है। पिछले दिनों रेडियो कॉलर की वजह से हुए इन्फेक्शन की वजह से कूनो पार्क प्रबंधन और प्रोजेक्ट चीता से जु़ड़े अधिकारी निशाने पर हैं। सर्च को तेज करने के लिए कूनो नेशनल पार्क में ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल करना शुरू किया है। इसके साथ ही पग मार्क की मदद भी ली जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि इस मादा चीता को कूनो की बाहरी सीमा पश्चिम मोरवान के जंगल में देखा गया है।
15 वयस्क चीतों में से 13 बाड़ों में
इस समय कूनो नेशनल पार्क के बाड़ों में 13 चीते हैं, जिनमें सात नर और छह मादा। नामीबिया और दक्षिण अफ्रीकी विशेषज्ञों ने अब तक छह चीतों के रेडियो कॉलर हटा दिए हैं। दो मादा चीता अब भी बाड़े के बाहर खुले जंगल में हैं। इनमें से एक चीता की लोकेशन तो मिल रही है, लेकिन दूसरी मादा चीता निर्भया को ट्रेस नहीं किया जा सका है। पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को कूनो के बाड़ों में छोड़ा था। इसके बाद फरवरी में 12 चीते दक्षिण अफ्रीका से लाए गए थे। एक मादा चीता ने इस दौरान चार शावकों को जन्म दिया। इसके बाद अलग-अलग कारणों से तीन शावकों समेत आठ चीतों की मौत अब तक हो चुकी है। एक शावक और 15 वयस्क चीते अब भी कूनो में हैं, जिनमें से 13 वयस्क चीते और एक शावक बाड़े में है।
11 में से छह चीतों के रेडियो कॉलर हटाए
पिछले दिनों रेडियो कॉलर की वजह से हुए इन्फेक्शन की वजह से चीतों की मौत हुई थी। कुछ चीतों में इन्फेक्शन बहुत बढ़ गया था। इसके बाद तय हुआ था कि सभी चीतों को खुले जंगल से पकड़कर फिर से बाड़ों में लाया जाए। उनका हेल्थ चेकअप किया जाए। भारतीय विशेषज्ञों के साथ-साथ नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से आए विशेषज्ञ भी कूनो में मौजूद हैं। 11 में से छह चीतों के रेडियो कॉलर हेल्थ चेक-अप के बाद हटा दिए गए हैं। जिन चीतों के रेडियो कॉलर हटाए गए हैं, उनकी पहचान गौरव, शौर्य, पवन, पावक, आशा और धीरा के तौर पर की गई है। अधिकारियों का दावा है कि यह सभी चीता स्वस्थ हैं।