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- मजबूरी में बाघ कर रहा...
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कपिल :भोपाल के जंगलों में रहने वाले 18 बाघों को जब उनका प्राकृतिक भोजन नहीं मिला, तो उन्होंने जंगल में जाने वाले मवेशियों का शिकार करना शुरू कर दिया। समरधा और कलियासोत के जंगलों में लगातार बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप के कारण जंगलों में शाकाहारी वन्य प्राणियों की संख्या लगभग न के बराबर रह गई है। इसके अलावा जंगलों में रसूखदार लोगों ने अतिक्रमण कर अपनी कोठियां बना ली हैं। इसके कारण भी वन्यप्राणी जंगल से खत्म हो गए हैं। वन्य प्राणियों के अभाव में बाघ मवेशियों को अपना निवाला बना रहा है। वहीं बाघों को जब जंगल में मवेशी नहीं मिल रहे, तो बाघ इनकी तलाश में शहर की तरफ भी आ रहे हैं।
वन विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार इस वित्त वर्ष में अप्रैल से लेकर नवंबर माह तक मवेशियों के शिकार के 33 मामले दर्ज किए गए हैं। बाघों ने हर माह औसतन 4 मवेशियों का शिकार किया है। यानी एक हफ्ते में एक मवेशी का शिकार बाघ ने किया है। वन्य प्राणी विशेषज्ञ बताते हैं कि भोपाल में पिछले 4 सालों के दौरान बाघ पर हुए अध्ययन बताते हैं कि भोपाल में बाघों ने वन्यप्राणियों की जगह मवेशियों का शिकार करना शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं बाघों के भोजन का 80 प्रतिशत स्रोत मवेशी और केवल 20 प्रतिशत स्रोत वन्य प्राणी हैं।
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