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इंदौर न्यूज़: स्कूल के छात्रों ने जब सुना कि उनके प्रिय शिक्षक नौकरी छोड़कर जा रहे हैं, तो उनके बीच खलबली मच गई. छात्र उन्हें बहुत चाहते थे. वह शिक्षक महोदय छात्रों को न केवल अपने विषय का समुचित ज्ञान देते थे. बल्कि अन्य विषयों में भी कोई परेशानी आने पर उसे हल कर देते थे.
निर्धन विद्यार्थियों के तो वह मसीहा थे. वह उन बच्चों की फीस नियत समय पर जमा कर उन्हें स्कूल से निकाले जाने से बचा लेते थे. वे बच्चों के बीच किताबें भी बांटा करते थे. ऐसे शिक्षक का स्कूल छोड़ना छात्रों के लिए बहुत कष्टदायक था. छात्र यह जानने के लिए उनके कमरे में पहुंचे कि वे क्यों जा रहे हैं? छात्रों ने एक साथ उनसे पूछा, ‘सर, हमने सुना है कि आप किसी दूसरे विद्यालय में जा रहे हैं. क्या यह सच है?’ शिक्षक के हां कहने पर छात्रों ने प्रश्न किया, ‘क्या वह स्कूल बहुत बड़ा है? क्या आपको वहां इस स्कूल से अधिक वेतन मिलेगा?’ शिक्षक ने कहा, ‘वहां पढ़ाने के लिए मुझे जेल की सजा भी मिल सकती है.’ छात्रों ने प्रश्न किया, ‘वहां आप कौनसा विषय पढ़ाएंगे?’ शिक्षक ने उत्तर दिया, ‘मैं सबको अपने देश के लिए मर मिटने का पाठ पढ़ाऊंगा.’ छात्र अपने शिक्षक की देशभक्ति देखकर श्रद्धा से झुक गए. यह शिक्षक और कोई नहीं, प्रसिद्ध क्रांतिकारी और बाद में महान योगी बने अरविंद घोष थे. उन्होंने स्कूल की नौकरी छोड़कर पूरी तरह देश सेवा में समय बिताने का फैसला किया था. बाद में उनके कई छात्र उनसे प्रभावित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए.
सीख- मां और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती हैं.