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किसानों से खरीदे जाने वाले गेहूं का भुगतान राज्य सरकार को तीन दिन के भीतर करना होगा
भोपाल: प्रदेश में किसानों से खरीदे जाने वाले गेहूं का भुगतान राज्य सरकार को तीन दिन के भीतर करना है। इसके साथ ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों को और सुविधा युक्त बनाने के लिए काम करना होगा, ताकि लोगों को आसानी से सुविधाएं और सामग्री मिल सकें।
बुधवार को यह निर्देश केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव संजीव चोपड़ा ने प्रदेश के कृषि, सहकारिता और अन्य विभागों के अधिकारियों की बैठक में दिए। रबी उपार्जन मामलों की समीक्षा के दौरान प्रदेश के अधिकारियों से कहा गया कि उपार्जन के भुगतान में तेजी लाने के साथ अधिकतम उपार्जन पर जोर दिया जाए। मंडी और उपार्जन केंद्र आने वाले किसान खाली लौटकर न जाएं।
बैठक में खरीदे जाने वाले गेहूं की क्वालिटी का ध्यान रखने के लिए भी कहा गया। बैठक में खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग की अपर मुख्य सचिव स्मिता भारद्वाज ने प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की व्यवस्था की जानकारी दी। इस दौरान प्रमुख सचिव सहकारिता दीपाली रस्तोगी ने सहकारी राशन दुकानों और एसीएस किसान कल्याण और कृषि विकास अशोक बर्णवाल ने खेती के उत्पादन को लेकर जानकारी दी।
व्यापारी जल्द भुगतान करते हैं, सरकार करती है देरी
बैठक के दौरान यह बात सामने आई कि किसान मंडियों और उपार्जन केंद्रों में बेचने के लिए गेहूं लेकर कई बार इसलिए नहीं आते क्योंकि उन्हें समय पर बेची गई उपज का भुगतान नहीं मिल पाता है। सरकारी प्रक्रिया में भुगतान में देरी के चलते वह व्यापारी के यहां गेहूं बेचने में ज्यादा रुचि लेता है क्योंकि उसे तुरंत बेची गई उपज का पेमेंट मिल जाता है। केंद्रीय खाद्य सचिव चोपड़ा ने कहा कि इसलिए अधिकारी यह ध्यान रखें कि किसानों को बेची गई फसल का दाम दो से तीन दिनों के भीतर हर हाल में मिल जाए ताकि उसे भटकना नहीं पड़े।