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- उठ रहा सवाल-कौन रहेगा...
मप्र में पंचायत चुनाव के तहत पहले चरण का मतदान शनिवार को हुआ। गांवों में सरपंचों को चुनने के लिए लोगों ने मतदान किया। हालांकि उज्जैन जिले की चार ग्राम पंचायत ऐसी हैं जहां ,सरपंच के लिए कोई उम्मीदवार खड़ा ही नहीं हुआ।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के तहत पहले चरण का मतदान शनिवार को हुआ। लोगों ने उत्साह से मतदान किया और कई जगहों पर लंबी कतारें देखी गईं, मगर उज्जैन जिले में चार गांवों में सरपंच के लिए कोई उम्मीदवार ही खड़ा नहीं हुआ। लोग तो वोट डालने पहुंचे मगर सरपंच का उम्मीदवार था ही नहीं।
दरअसल उज्जैन जिले की चार ग्राम पंचायतों में सरपंच पद के लिए कोई उम्मीदवार नहीं था। आरक्षण के कारण यह हुआ, जिसके बाद यहां सरपंच के पद के लिए वोटिंग ही नहीं हुई। पंच के लिए वोट डाले गए। अब इन ग्राम पंचायतों में सरपंच कौन होगा यह सवाल बना हुआ है। असल में उज्जैन से करीब 20 किलोमीटर दूर ग्राम भैंसोदा की ग्राम पंचायत के अंतर्गत खुसलाखेड़ी भी शामिल है। दोनों गांवों के मतदाता की संख्या 1200 है। जिसमें भैंसोदा गांव में 796 और खुसलाखेड़ी गांव में 404 मतदाता है। पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से ही यह पंचायत सुर्खियों में है। चर्चा इसलिएक्योंकि इस बार यहां से किसी ने भी सरपंच पद के लिए नामांकन नहीं भरा है। इसलिए यहां चुनाव ही नहीं हो पाएगा। पंचायत चुनाव के लिए हुए आरक्षण में सरपंच पद का आरक्षण अनुसूचित जनजाति के लिए हुआ है। जिस वर्ग के लिए सरपंच पद का आरक्षण हुआ है, उस वर्ग से दोनों ही गांव में कोई भी मतदाता नहीं है। ऐसे में इस पंचायत से सरपंच के लिए नामांकन ही दाखिल नही हो सका।
इसी तरह जनपद पंचायत बड़नगर की तीन ग्राम पंचायत सरसाना ,रणवा और नरसिंगा में सरपंच पद आरक्षित होने के चलते यही हालात बने। रणवा में अजा वर्ग के लिए सीट आरक्षित होने के चलते 800 मतदाता की पंचायत को सरपंच नहीं मिलेगा क्योंकि यहां अजा वर्ग का मतदाता नहीं है। पंच के रूप में 14 निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं। ग्राम पंचायत सरसाना के भी यही हाल है। यहां भी अजा के लिए सरपंच पद आरक्षित हो गया लेकिन करीब 900 मतदाता को सरपंच नहीं मिल पाएगा। 1985 मतदाता वाली बड़ी ग्राम पंचायत नरसिंगा में अजा-अजजा को भी सरपंच के लिए प्रत्याशी नहीं मिल पाया जिसके कारण यहां भी पंचायत फिलहाल बिना मुखिया के रहेगी।