- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- कचरे से बायोगैस बनाने...
कचरे से बायोगैस बनाने की योजना फेल, कुछ प्लांट अधूरे
भोपाल न्यूज़: कचरे का निष्तारण और उससे गैस बनाने के लिए बनी योजना हवा हो गई. नेहरू नगर, विट्ठन मार्केट सहित शहर में कई स्थानों पर इसके लिए संयंत्र लगे हैं. इस पर लाखों रुपए खर्च हुए लेकिन गैस नहीं बन पाई. सॉलिड वेस्ट निस्तारण के लिए कचरे से बायोगैस बनाने की योजना बनी थी.
पांच प्लांट बनाना थे
उल्लेखनीय है कि कचरे का उचित निष्पादन और उपयोग करने के लिहाज से शहर के दस में से पांच कचरा ट्रांसफर स्टेशन पर बायोगैस प्लांट का निर्माण होना था. यहां पांच-पांच टन कचरे से रोज 1700 किलो बायोगैस बनाई जानी थी. गीले कचरे को अलग करके खाद बनाई जाएगी. सिर्फ सूखा कचरा खंती भेजा जाएगा. इस कचरे से नगर निगम को राजस्व मिलेगा. जो सोचा था उसके उलट ही हो रहा है. नगर निगम ने कचरे से बायोगैस बनाने के प्लांट निर्माण का कार्य निजी कंपनी को दिया था.
होटल्स और सब्जी मंडी से लिया जाना था कचरा
बिट्टन मार्केट के प्लांट में नाममात्र का उत्पादन
वर्तमान में विट्ठन मार्केट में बायोगैस प्लांट काम कर रहा है. निजी कंपनी के जरिए संचालन हो रहा है. यहां भी नाममात्र गैस बन रही है. उस पर कई बार यह बंद हो चुका है.
बायोगैस के लिए शुरुआती दौर में शाहजहांनी पार्क के पास मिथेनाइजेशन प्लांट का उद्घाटन किया था. इस प्लांट में गीले कचरे से दीनदयाल रसोई के लिए रोज 40 किलोग्राम बायोगैस उपलब्ध कराई जानी थी. सब्जी मंडी, पुराने शहर के होटलों, एमपी नगर के होटलों से गीला कचरा एकत्र करने की योजना थी. योजना के तहत कुल कचरे का चालीस फीसदी उपयोग किया जाना था. बाकी खंती में भेजा जाना था. प्लांट बंद हैं पूरा कचरा खंती में जा रहा है.
शहर में पांच जगह के लिए थी योजना
योजना पहले बनी थी. इस संबंध में कई जगह काम हुआ था. प्लांट में कहां दिक्कत आ रही है. इसके संबंध में जानकारी लेकर बताता हूं. पीआर शुक्ला, प्रवक्ता नगर निगम
शहर में पांच स्थानों के लिए योजना बनी थी. पांच स्थानों पर कुल 15 से 20 टन कचरे की जरूरत होगी. इसके अलावा बची हुई गैस से बिजली बनाने की प्लानिंग थी, प्लांट ही शुरू नहीं हो पाए. ऐसे में न बिजली बन पाई न ही गैस.