मध्य प्रदेश

कोरोना की अनुग्रह राशि लेने के लिए व्यक्ति को मृत बताया, वैरिफिकेशन के लिए किया कॉल तो हुआ खुलासा

Shiddhant Shriwas
9 Feb 2022 11:24 AM GMT
कोरोना की अनुग्रह राशि लेने के लिए व्यक्ति को मृत बताया, वैरिफिकेशन के लिए किया कॉल तो हुआ खुलासा
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फाइल फोटो 

जब पटवारी ने बुजुर्ग के परिवार को कॉल किया तो मामले का खुलासा हो गया। पीड़ित बुजुर्ग का कहना है कि मैं जिंदा हूं और मुझे कभी कोरोना हुआ ही नहीं

जनता से रिस्ता वेबडेस्क: खुद को मृत बताकर बीमा राशि हड़पने के मामले तो सामने आते रहते हैं मगर इंदौर में अजीब मामला सामने आया है। कोरोना की अनुग्रह राशि लेने के लिए एक व्यक्ति को मृत बता दिया जबकि उसको कोरोना हुआ ही नहीं और वह जीवित है। अब प्रशासन उलझ गया कि आखिर ऐसा हुआ कैसे और किसने किया।

दरअसल, इस मामले का खुलासा कलेक्टर की जनसुनवाई में हुआ। इंदौर जिले के सांवेर केशरीपुरा वार्ड निवासी युवक अभिषेक डुंगरवाल ने इसकी शिकायत की। बताया कि किसी ने उनके 54 वर्षीय पिता जानकीलाल डुंगरवाल के कोविड पॉजिटिव होने और मृत्यु का फर्जी प्रमाण-पत्र तैयार किया। पिता और पुत्र के आधार कार्ड की फोटो कॉपी भी जुटा ली। इसके बाद शासन की योजना के तहत 50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि लेने के लिए कलेक्टर कार्यालय में आवेदन कर दिया। अपर कलेक्टर पवन जैन ने युवक को आश्वस्त किया कि मामले की जांच कराई जाएगी। तहसीलदार दिनेश सोनरतिया को जांच सौंपी गई है। आवेदन देने वाले युवक ने कहा कि साहब, मेरे पिताजी तो जिंदा हैं। किसी ने फर्जी मृत्यु प्रमाण-पत्र बनाकर कोरोना से मृत बता दिया और शासन की अनुग्रह राशि लेने के लिए मेरे नाम से आपके यहां आवेदन कर दिया। हमारे आधार कार्ड और बैंक खाता भी आवेदन के साथ लगा दिया। हमें तो पटवारी से पता चला। यह हमें फंसाने की साजिश लग रही है। मैं आपकी मदद चाहता हूं कि मामले की जांच करें और पता लगाया जाए कि किस व्यक्ति ने ऐसा किया।
वैरिफिकेशन के लिए किया कॉल तो हुआ खुलासा
आवेदन होने के बाद इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई थी। वैरिफिकेशन के लिए जब पटवारी ने बुजुर्ग के परिवार को कॉल किया तो मामले का खुलासा हो गया। पीड़ित बुजुर्ग का कहना है कि मैं जिंदा हूं और मुझे कभी कोरोना हुआ ही नहीं। साथ ही उसने कभी कोरोना अनुग्रह राशि के लिए आवेदन नहीं करने की बात भी कही। यह आवेदन 18 जनवरी को दिया गया था। इस पर प्रशासन उस तारीख के सीसीटीवी फुटेज देखेगा कि किसने आवेदन किया था। यह पता चला है किअनुग्रह राशि का आवेदन जानकीलाल के बेटे अभिषेक के नाम से किया गया था। दस्तावेज वेरिफिकेशन के लिए क्षेत्र के पटवारी ने सोमवार 7 फरवरी को अभिषेक को फोन लगाकर कलेक्टर कार्यालय आने के लिए कहा। तब अभिषेक ने बताया कि मेरे पिता जानकीलाल जीवित हैं और उन्हें कोरोना नहीं हुआ। तब पटवारी ने दोनों पिता-पुत्र को कलेक्टर कार्यालय बुलाया। जानकीलाल के बेटे हितेश का कहना है कि किसी ने उसके छोटे भाई अभिषेक और पिता का आधार कार्ड और बैंक पास बुक चुरा ली। साथ ही कोरोना पॉजिटिव की फर्जी रिपोर्ट और पिता का फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र भी बनवा लिया। फिर कोविड सहायता राशि का फॉर्म भरकर आवेदन किया, लेकिन जिसने भी यह काम किया उसके पास हमारा समग्र आईडी नहीं था। पटवारी ने दस्तावेज वैरिफिकेशन के साथ समग्र आईडी भी मंगवाई थी। इसी से मामला पकड़ में आ गया।
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