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भोपाल न्यूज़: मास्टर प्लान ड्राफ्ट 2031 के संसोधन में बड़ा तालाब कैचमेंट में 43 हजार वर्गफीट के प्लॉट एरिया में निर्माण तय करते हुए जमीन पर 2000 वर्गफीट का निर्माण करने की छूट दी जा रही है. इसके लिए कैचमेंट को तीन भागों में बांटा गया. पहले दो भाग में निर्माण अनुमति शून्य की गई, जबकि आखिरी भाग में जमीन का 0.1 प्रतिशत पर निर्माण की अनुमति तय की गई.
कैचमेंट का अलग से लैंडयूज तय किया
मास्टर प्लान में कैचमेंट को लेकर अलग से लैंडयूज तय किया है. इसका नाम सी जेड शून्य, सी जेड वन व सी जेड दो का नाम दिया गया. शून्य व एक में कोई बेस एफएआर या स्वीकृत योग्य एफएआर नहीं दिया गया. सी जेड दो में जरूर बेस एफएआर 0.1 व अनुमति योग्य एफएआर भी 0.1 तय किया गया. यानि प्लॉट एरिया का करीब दस फीसदी निर्माण कर सकते हैं. इसमें भी जमीन पर इसका आधा ही निर्माण होगा. इससे यहां बड़े प्लॉट खरीदने की मंजूरी मिल जाएगी, लेकिन उपयोग फार्म हाउस या पर्यटन, पिकनिक स्पॉट के तौर पर ही कर पाएंगे.
इसलिए जरूरी
कैचमेंट में अभी कृषि लैंडयूज है. इसमें टीएंडसीपी ले आउट मंजूर नहीं करता है, लेकिन इससे जुड़े गांवों में स्थानीय स्तर पर बिना अनुमति बड़े मकान व कॉलोनियां बन रही हैं. नीलबड़, रातीबड़ जैसे क्षेत्र तो पूरी तरह शहरी हो गए. सूरज नगर से लेकर सेवनियां गोंड, गोरा, बिशनखेड़ी, कलखेड़ा, बरखेड़ा नाथू समेत सीहोर तक अवैध कॉलोनियों की भरमार है. नए नियम से किसानों की जमीनें बड़े प्लॉट के तौर खरीदने वाले बढ़ेंगे. नियमानुसार काम करने पर वे 43 हजार वर्गफीट में दो हजार वर्गफीट ही निर्माण कर पाएंगे.
जैविक कैचमेंट शब्द जोड़े तो हानिकारक रसायन नहीं आएंगे
कैचमेंट को तीन भागों में बांटकर उसे नियमित करने की कोशिश की है, लेकिन इसमें रासायनिक खेती को रोकने के लिए कुछ प्रावधान नहीं किए. एक्सपर्ट शैलेंद्र बागरे का कहना है कि कैचमेंट में जैविक खेती को प्रोत्साहन के प्रावधान होने चाहिए.