मध्य प्रदेश

स्टाप शुल्क में शासन को हो रहा राजस्व का नुकसान, अधिकारी दतर में बैठे कर देते हैं रजिस्ट्री

Gulabi Jagat
8 May 2024 11:14 AM GMT
स्टाप शुल्क में शासन को हो रहा राजस्व का नुकसान, अधिकारी दतर में बैठे कर देते हैं रजिस्ट्री
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रायसेन। कॉलोनाइजर और बिल्डर कवर्ड कैपस बनाने का प्रचार कर लोगों से लुभावने वादे कर उन्हें प्लॉट मकान बेच देते। इसके बाद कालोनियों में दी जाने वाली मूलभूत सुविधाओं की तरफ कोई ध्यान नहीं देते। कुछ कालोनियों में पक्की सडक़ की जगह डब्ल्यूबीएम सडक़ दिखाई दे रही तो कहीं पर एक दिन के अंतर से पानी सप्लाई किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि संस्कार बिहार कॉलोनी श्रीराधा कृष्ण पुरम में पिछले दो वर्ष से एक दिन के अंतराल से पानी की सप्लाई की जा रही।, जिससे रहवासी खासे परेशान हैं। जबकि सुविधाओं के नाम पर ग्राहकों से ऊंचे दाम वसूल लिए जाते हैं। अभी दो दिन पहले बुधवार को शीतल सिटी कॉलोनाइजर ने पानी सप्लाई सहित सभी व्यवस्थाएं बंद कर दी थी। जिससे नाराज रहवासियों ने चक्काजाम कर दिया था। इसके अलावा करीब डेढ़ वर्ष पहले नगर पालिका चुनाव के समय वीआईपी कॉलोनी भारत नगर के रहवासियों ने मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलने पर मतदान का बहिष्कार किया भी किया था।कवर्ड कैंपस के नाम पर शहर में बिल्डर कर रहे मनमानी.....
बदहाल स्थिति में अवंतिका कॉलोनी शीतल गार्डन का मुख्य द्वार, गार्ड भी नहीं रहता तैनात, सुरक्षा भगवान भरोसे.....
इनका कहना है
कॉलोनाइजर प्लॉट का अनुबंध करके यदि मकान बनाकर बेच रहे हैं, तो यह नियम के विरुद्ध है। इससे शासन को राजस्व का नुकसान हो रहा है। सात मई के बाद पंजीयक कार्यालय के अधिकारी को बुलाकर जानकारी ली जाएगी कि वे रजिस्ट्री कराते समय स्थल निरीक्षण करते हैं या नहीं। इस मामले की जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।पीसी शाक्य, एसडीएम रायसेन शहर में कवर्ड कैपस के नाम पर करीब आधा दर्जन से अधिक कालोनियां विकसित की गई हैं। इन कैपसों में कॉलोनाईजर प्लॉट-मकान बेचते समय लोगों को पर्याप्त सुविधाएं देने के लिए लुभावने वादे करते हैं फिर अपने मकानों की बिक्री कर ऊंचे दाम वसूलते हैं। लेकिन यहां पर बिल्डर एक बड़ा खेल कर रहे हैं, जिसमें उन्हें और मकान खरीदने वाले को खासा फायदा होता है। मगर सरकार को काफी नुकसान पहुंच रहा है। मकान खरीदने वालों से बिल्डर पहले स्टॉप पर अनुबंध कर प्लॉट का सौदा करते हैं। जबकि वास्तविक सौदा मकान की राशि का किया जाता है। प्लॉट बेचने का अनुबंध कर रजिस्ट्री करा दी जाती और उसके बाद बिल्डर द्वारा मकान बनाकर बेचा जाता है। इस तरह ग्राहकों को लुभाकर बिल्डर सरकार को राजस्व की हानि पहुंचा रहे। क्योंकि मकान की रजिस्ट्री महंगी होती और प्लॉट की रजिस्ट्री कराने पर कम खर्च आता है। जब लोग बिल्डर के पास मकान खरीदने पहुंचते हैं, तो उन्हें आकर्षक-लुभावने वादे कर यह रास्ता भी बता देते हैं। इससे ग्राहक को फायदा पहुंचता और बिल्डर के मकान बिक जाते हैं। लेकिन शासन को एक रजिस्ट्री पर ही लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा। इस तरह की स्थिति शहर सहित जिले भर के ज्यादातर कवर्ड कैपसों में बनी है।
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