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रेल का डिब्बा बना इस परिवार का आशियाना, रेलवे से रिटायरमेंट के बाद भी था नौकरी से लगाव
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रेल्वे में 38 साल काम किया। रेल जीवन का हिस्सा बन चुकी थी। 1988 में रिटायर हुआ, लेकिन कुछ कमी थी। रेल्वे की याद हमेशा सताती थी। 32 साल से मन में एक सपना संजोया जो अब जाकर पूरा हुआ है। अब दिल को तस्सली मिली है। अब सुकून महसूस कर रहा हूं। यह कहना है महाराष्ट्र के संगाली के रोहिदास शिंदे के।
रोहिदास ने 38 साल रेल्वे में नौकरी की। 1950 में वे भर्ती हुए थे। 1988 में वे रिटायर हुए। अपने उम्र के 38 साल उन्होंने रेल विभाग में गुजारे। रेल रोहिदास के जीवन का इस कदर हिस्सा बन चुकी थी कि वे घर में असहज महसूस करने लगे। उन्होंने अपने बेटों से यह बात साझा की।
रोहिदास का सपना था कि जिस रेल्वे ने जीने की राह दिखाई, उस रेल के डिब्बे की तरह ही उनका घर हो। अपनी उम्र के 90 साल में और रिटायरमेंट के 32 साल बाद उनका यह सपना पूरा हुआ है। उन्होंने सांगली के सुभाष नगर एरिया में रेल डिब्बे की डिजाइन पर ही घर बनाया है।