मध्य प्रदेश

शहर की कानून व्यवस्था संभाले में नाकाम साबित हो रही है कमिश्नर प्रणाली

Harrison
3 Oct 2023 8:41 AM GMT
शहर की कानून व्यवस्था संभाले में नाकाम साबित हो रही है कमिश्नर प्रणाली
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मध्यप्रदेश | शहर में भले ही कमिश्नर प्रणाली लागू हो गई है, लेकिन कानून व्यवस्था पर इसका उल्टा ही असर देखने में आ रहा है. पहले एक आइजी और दो डीआइजी सहित दो एसपी मिलकर पूरी व्यवस्था संभालते थे और क्राइम रेट कंट्रोल रहता था, लेकिन अब इसका उलटा है. एक कमिश्नर, दो एडीशनल कमिश्नर सहित आठ डीसीपी, आठ एडीसीपी के अलावा भारी भरकम फौज फाटा कानून व्यवस्था नहीं संभाल पा रहा है. इसका नतीजा सड़कों पर खुलेआम हत्या, जानलेवा हमले, महिलाओं से छेड़छाड़ और लूट के रूप में जनता झेल रही है. बीते 48 घंटे सबसे बड़े सुरक्षा इंतजामों के बीच ये मामले दर्ज हुए. महिलाओं ने मौके पर गौतम नगर टीआइ के वाहन में बैठे ड्राइवर फहीम से मदद मांगी थी. फहीम का दावा है कि उसने महिलाओं के परिजनों को फोन लगा दिया था. बीट में मौजूद पुलिस कर्मियों को सूचना देने का प्रयास भी किया था, लेकिन भीड़ ज्यादा होने से कोई आ नहीं सका. वाहन चालक ने कहा कि मैं अकेला वाहन से उतरकर क्या कर सकता था इसलिए नहीं गया.
डीजे की आवाज में दब गई चीख पुकार
मंगलवारा में पीड़ित परिजनों ने बताया कि हम लोग चीख पुकार करते रहे लेकिन डीजे की भयंकर आवाज में कोई सुनने नहीं आया. पुलिस वाले सामने से चल समारोह में निकल रहे थे. उन्होंने आकर झांका तक नहीं. नशे में धुत युवक ने मेरे और बेटी के साथ छेड़छाड़ की. भाई ने विरोध किया तो गुंडे उन पर लाठी-डंडे लेकर टूट पड़े. मुझे, मेरी बेटी और बहन को भी बेरहमी से पीटा. हम आरोपियों के सामने भाई को छोड़ने के लिए गिड़गिड़ाते रहे. दौड़कर पुलिस से मदद मांगने पहुंची, तो पुलिसकर्मी के ड्राइवर ने भी मदद नहीं की. मैं वो पल नहीं भूल सकती, जब भाई ने मेरी गोद में दम तोड़ा. पुलिस ने रिपोर्ट तक समय पर नहीं लिखी.
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