मध्य प्रदेश

70 साल से मलबे में पड़ा था 1700 साल पुराना 'शिवलिंग', पुरातत्व विभाग ने बताया

Kunti Dhruw
16 Dec 2021 6:46 PM GMT
70 साल से मलबे में पड़ा था 1700 साल पुराना शिवलिंग, पुरातत्व विभाग ने बताया
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सागर जिले से करीब 75 किलोमीटर दूरी पर स्थित एरन गांव चीख-चीखकर भारत की इतिहास की गवाही दे रहा है।

सागर जिले से करीब 75 किलोमीटर दूरी पर स्थित एरन गांव चीख-चीखकर भारत की इतिहास की गवाही दे रहा है। यह गांव गुप्त शासकों के इतिहास और बर्बर ह्रूंणों के आक्रमणों को झेल चुका है। विश्व धरोहर सप्ताह में पुरातत्व विभाग ने यहां चौथी और पांचवी शताब्दी के एक शिवलिंग रूपी स्तंभ को पुनः स्थापित कर इस अतिप्राचीन स्थान के साथ इंसाफ किया है। करीब 1700 साल पुराना यह स्तंभ 70 साल से मलबे की तरह पड़ा हुआ था।

शिवलिंग को लेकर था कंफ्यूजन
इसे लेकर पहले यह अड़चन थी कि यह शिवलिंग है या सती स्तंभ या कुछ और। पुरातात्विक विशेषज्ञों इतिहासकारों ने प्रत्यक्ष मौजूद के लिए प्रमाण तलाशने किताबों में लिखा इतिहास खंगाल डाला। इसके बात जो जानकारी मिली, उसने सबको अचंभे में डाल दिया। इसके बाद पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने इस शिवलिंग रूपी सती स्तंभ को नियमानुसार स्थापित किया।
1700 साल पुराना है इतिहास510 ईस्वी में यहां सम्राट भानुगुप्त के मित्र सेनापति गोपराज ने हरूणों से लड़ते हुए मारे गए। उनकी पत्नी गोप बाई इसी स्थान पर सती हुई थी। स्तंभ पर गोपराज को घोड़े पर जाते हुए और साथ ही उनकी पत्नी की तस्वीर भी स्तंभ पर अंकित है। इससे पहले दुनिया में कहीं भी लिखित सती स्तंभ प्राप्त नहीं हुआ। इसकी खोज जनरल कनिंघम ने 1874 में की थी।
क्या है इतिहाससागर जिले में बीना नदी के किनारे स्थित एरन में इस शिवलिंग रूपी स्तंभ पर 510 ईस्वी के दुनिया के पहले सती स्तंभ की इबारत मौजूद है। इसके अलावा चौथी शताब्दी के चित्र का अभिलेख भी इस पर वर्णित है। 1952 से स्तंभ कचरे की तरह जमीन पर पड़ा हुआ था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण शाखा के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉक्टर शिव कांत बाजपेई इतिहासकारों के मुताबिक आज से पंद्रह सौ11 साल पहले 510 ईस्वी के आसपास एरण में भारतीय गुप्त शासकों और चीन से आए बर्बर हरूणों दोनों के बीच एक भयानक युद्ध हुआ था। इसके बाद इस क्षेत्र को आग के हवाले कर दिया।
प्रमाणित हैं यहां के अवशेषयहां उसके अवशेष मौजूद हैं, यह विज्ञान के कार्बन 14 विधि से प्रमाणित है।1950 में 510 ईस्वी से पहले चौथी शताब्दी के शक क्षत्रप श्रीधर वर्मन का अभिलेख भी खोज लिया गया है।एएसआई ने इसे संवारावहीं, अब शिवलिंग को फिर से ठीक कर दिया गया है। अब एरन में बड़ी संख्या में पर्यटक शिवलिंग को देखने आ रहे हैं। पुरातत्व विभाग की कोशिश है कि फिर से इसकी खूबसूरती को वापस लौट आया है। इलाके के लोगों में भी इस लेकर खुशी है।
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