मध्य प्रदेश

थैलेसीमिया दिवस: शहर के युवा समझ रहे बच्चों का दर्द

Gulabi Jagat
9 May 2024 9:17 AM GMT
थैलेसीमिया दिवस: शहर के युवा समझ रहे बच्चों का दर्द
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रायसेन। जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में शहर के युवा थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को हर तीन महीने में रक्तदान कर उनकी जान बचाने में मददगार साबित हो रहे हैं।
13 वर्षों से लगातार कर रहे रक्तदान.....
हर तीन माह में थैलेसीमिया के बच्चों के लिए हीरेन्द्र कुशवाहा हरीश मिश्रा ब्लड डोनेट कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 13 वर्ष पहले एक बच्ची को करंट लगने की सूचना मिली थी। उसे ब्लड की जरूरत है। तब मैंने पहली बार बच्ची को ब्लड डोनेट किया। रक्तदान से उसे नया जीवन मिल गया। अब लगातार थैलेसीमिया के बच्चों के लिए रक्तदान करता हूं।
पहली बार थैलेसीमिया के बच्चे को दिया ब्लड
राहुल परमार युवा नेता शुभम उपाध्याय ने बताया कि वे लगातार 14 वर्षों से रक्तदान कर रहे हैं। हर तीन माह में रक्तदान कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में थैलेसीमिया पीड़ितों को काफी समस्याएं हुईं थी।क्योंकि लॉकडाउन में कोई ब्लड डोनेशन के लिए तैयार नहीं था। ऐसे में मोबाइल वैन और डोर टू डोर ब्लड देने का काम भी किया।
जागरूकता से कम होगी बीमारी....
सिविल सर्जन डॉ अनिल ओढ़ ने बताया कि बच्चों को जन्म के समय से ही थैलेसीमिया हो जाता है। इसका कारण अभिभावकों का थैलेसीमिया की जांच नहीं करवाना है। वर्तमान में शादी के पहले ही थैलेसीमिया की जांच करवाने पर जोर दिया जाता है, ताकि मां या पिता में इस बीमारी का पता पहले ही लग सके। ऐसे में थैलेसीमिया जोन से प्रभावित गर्भधारण से पहले एचबीए2 की जांच से इस रोग को रोका जा सकता है।
दरअसल थैलेसीमिया बीमारी में हर 15 दिन में बच्चों और गर्भवती महिलाओं को ब्लड की आवश्यकता होती है। हमेशा ब्लड की जरूरत होने के कारण ब्लड बैंक में इसकी कमी हो जाती है। ऐसे में शहर के युवा ब्लड डोनर्स ही हैं, जो थैलेसीमिया पीड़ित मरीज की मदद करने में जुटे हुए हैं। कम उम्र से ब्लड डोनेशन की शुरुआत करने वाले युवा अब थैलेसीमिया की बीमारी से ग्रसितोंके लिए तत्पर होकर काम कर रहे हैं।
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