मध्य प्रदेश

पुस्तक विक्रेताओं से बोली टीम, सिलेबस से हटकर किताबें बेचीं तो होगी कार्रवाई

Gulabi Jagat
22 April 2024 11:56 AM GMT
पुस्तक विक्रेताओं से बोली टीम, सिलेबस से हटकर किताबें बेचीं तो होगी कार्रवाई
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रायसेन। एनसीआरटीई की किताब अनिवार्य रूप से लागू करने के पीछे शासन की मंशा है कि बच्चों के बस्ते के बोझ कम हो। लेकिन उसके बावजूद निजी स्कूल संचालक व बुक स्टोर संचालकों की सांठगांठ कम नहीं हो रही।निजी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के बस्ते का बोझ कम नहीं हो पा रहा है।इस शिकायत के चलते अधिकारियों की टीम ने कलेक्टर अरविंद दुबे के आदेश पर पुस्तक विक्रेताओं के यहां पहुंचकर जांच की। रायसेन सहित आसपास के क्षेत्र में करीब 100 से अधिक संख्या में प्राइवेट स्कूल संचालित हैं। अभी तक स्कूलों में जुलाई माह में नया सत्र चालू होता था। लेकिन इस बार समय पर परीक्षाएं होने से अप्रैल में ही नया सत्र शुरू हो चुका है। पालक बच्चों को पढऩे के लिए सिलेबस खरीदने दुकानों पर पहुंच रहे हैं। स्कूल संचालकों ने अपने पुस्तक विक्रेता फिक्स कर लिए हैं, पालकों को उन्हीं दुकानों पर भेजते हैं।
निजी स्कूल संचालक मोटी रकम कमाने के चक्कर में एनसीआरटी की पुस्तकों के अलावा छोटे-छोटे बच्चों पर मोटी- मोटी किताबें थोप रहे हैं और यह बुक या तो किसी एक दुकान पर ही मिलेगी या फिर कुछ स्कूल संचालक अपने यहां से बेच रहे हैं।मालूम हो कि प्रदेश के मुखिया डॉ मोहन यादव ने भी एक सख्त फरमान जारी कर कहा कि यदि अभिभावकों पर किसी सीबीएससी स्कूल संचालकों या किसी प्रायवेट स्कूल प्रबंधन द्वारा किसी स्टेशन री अथवा बुक डिपो संचालकों ने कमीशन के फेर में अगर दबाव डाला तो समझो उनकी अब खैर नहीं।पालकों की शिकायत यदि सही मिली तो उन पर कम से कम 2 लाख रुपये जुर्माना और स्कूल की मान्यता भी खतरे में पड़ सकता है।इन सब तमाम चेतावनी के बावजूद स्कूल संचालकों और निजी स्कूलों के जिम्मेदारों के बीच मोटा कमीशन बाजी का खेल बेरोकटोक धडल्ले से चल रहा है।रायसेन के ईसाई मिशनरी के एक सीबीएसई स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कुछ अभिभावकों ने इस कमीशन खोरी की शिकायत कलेक्टर अरविंद दुबे, नवागत डीईओ डीडी रजक से की थी।बावजूद इसके जिला प्रशासन द्वारा अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया है।
जांच के लिए अधिकारी पहुंचे दुकानों पर....
जिले की तहसील गैरतगंज बरेली और सिलवानी बेगमगंज में फीस और निजी स्कूलों की मनमानी की शिकायत स्थानीय प्रशासन के जिम्मेदारों से की गई।कलेक्टर ने जांच के लिए भिजवाया है। किताबों के नाम पर हो रही मनमानी की जांच के लिए तहसीलदार विकासखंड शिक्षा अधिकारी एवं पटवारी के साथ बुक डिपो स्टोर पर पहुंचकर जांच की। पुस्तक विक्रेताओं ने बताया कि कुछ स्कूल संचालक स्वयं ही अपनी किताब बेचते हैं। आधा दर्जन ऐसे स्कूलों के नाम सामने आए हैं जिनके द्वारा अपनी स्वयं की किताब बेची जा रही है।
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