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- शहीद भवन में नाटक...
भोपाल न्यूज़: शहीद भवन में मंचित नाटक सविता दामोदर परांजपे का मंचन किया गया. विवेक सावरीकर मृदुल द्वारा निर्देशित इस नाटक का मंचन रंग मोहिनी आर्ट एंड वेलफेयर सोसायटी की ओर से केजी त्रिवेदी और रमेश अहिरे की स्मृति में आयोजित उत्तरायण नाट्य समारोह के तहत किया गया.
नाटक एक मनोवैज्ञानिक थ्रिलर है, जिसमें अफसर शरद और उसकी प्रोफेसर पत्नी कुसुम होते हैं. यह दंपती विवाह के 14 साल बाद भी नि:संतान हैं. कुसुम के पेट में अचानक दर्द उठने लगता है और इलाज के बाद भी वह ठीक नहीं होती. नाटक में दिखाया गया देह की भूख जितना पुरुषों को तड़पाती है उतना ही कष्ट स्त्री को भी देती है. फर्क सिर्फ इतना है कि पुरुष भूख मिटाने का जतन कर लेता है, जबकि स्त्री लोक-लाज और मर्यादा की ओट में भीतर ही भीतर जलती है. एक समय ऐसा भी आता है जब वह इस आग में जलते-जलते सारी मर्यादाओं और रिश्तों को भूल जाती है और उसके लिए हर रिश्ते में पुरुष की छवि ही दिखती है. स्त्री के इस रूप को प्रेम बाधा भी माना गया है.
नाटक में दिखाया कि एक दिन शरद के घर उनका साइंस रिसर्च स्कॉलर रिश्ते का छोटा भाई अशोक आता है. कुसुम को देखकर वह कहता है कि भाभी को कोई बीमारी नहीं है, बल्कि इन पर किसी का साया है. अगली कड़ी में सांइटिस्ट और कुसुम एक कमरे में होते हैं और वह कहता है कि कौन हो तुम, कौन हो तुम. अचानक वह अपने रूप में आती है और कहती है सविता. कौन सविता, वह तेजी से कहती है सविता दामोदर परांजपे.