मध्य प्रदेश

सरकारी अस्पतालों में 4 हजार डॉक्टरों की कमी

Admin Delhi 1
5 April 2023 1:34 PM GMT
सरकारी अस्पतालों में 4 हजार डॉक्टरों की कमी
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भोपाल न्यूज़: मध्यप्रदेश के सरकारी अस्पतालों में चार हजार से ज्यादा डॉक्टरों की कमी है. सीधी भर्ती प्रक्रिया में भी डॉक्टर नियुक्ति नहीं लेना चाहते. इसके बजाए वे निजी सेक्टर के साथ गुजरात-महाराष्ट्र जैसे राज्यों और केंद्रीय सेवाओं में जाना पसंद करते हैं. इसका बड़ा कारण प्रमोशन पॉलिसी न होना और पे-स्केल में बड़ा अंतर होना है.

प्रदेश में चिकित्सा विशेषज्ञों के 3618 पद में से 2404 पद खाली हैं. चिकित्सा अधिकारियों के 5097 पदों में से 1719 पद खाली हैं. प्रदेश में सबसे ज्यादा कमी मेडिसिन विशेषज्ञों की है. इनके 647 पदों में से 535 खाली हैं. एनेस्थीसिया विशेषज्ञ के 385 पदों में से 280 खाली हैं. इस कारण सर्जरी में लंबी वेटिंग है. जिला अस्पतालों में मॉड्युलर और सामान्य सहित तीन से चार ऑपरेशन थिएटर हैं, लेकिन बेहोशी का इंजेक्शन देने के लिए एनेस्थीसिया विशेषज्ञ एक या दो ही हैं. विशेषज्ञों की कमी से सिर्फ 120 अस्पतालों में सीजेरियन प्रसव हो पा रहे हैं.

डॉक्टरों की स्थिति

पदनाम स्वीकृत पदस्थ

विशेषज्ञ 3618 1214

चिकित्सा अफसर 5097 3378

कुल डॉक्टर 8715 4592

पीएचसी एक नजर

कुल पीएचसी 1203

बिना डॉक्टर 446

बिना फार्मासिस्ट 281

बिना लैब टेक्नीशियन 525

एक्सपर्ट व्यू

विशेषज्ञ मंजूर पद रिक्त

एनेस्थीसिया विशेषज्ञ 385 280

नाक कान-गला विशेषज्ञ 86 09

मेडिसिन विशेषज्ञ 647 535

स्त्री, प्रसूति रोग विशेषज्ञ 631 420

नेत्र रोग विशेषज्ञ 126 19

अस्थि रोग विशेषज्ञ 228 107

शिशु रोग विशेषज्ञ 516 272

पैथोलाजिस्ट 137 67

रेडियोलाजिस्ट 98 63

सर्जिकल विशेषज्ञ 655 534

क्षय रोग विशेषज्ञ 53 37

दंत रोग विशेषज्ञ 53 48

प्रदेश में 1970 तक डॉक्टर्स को आइएएस के समान वेतन मिलता था. तब इंडियन मेडिकल ऑफिसर्स सेवा बनाने की बात कहकर वेतन डिप्टी कलेक्टर के समान कर दिया. डीएसपी-डिप्टी कलेक्टर व इस रैंक के अफसरों को ग्रामीण क्षेत्रों में पोस्टिंग के दौरान आवास व अन्य सुविधा मिलती है. डॉक्टर्स के साथ ऐसा नहीं होता. मेडिकल ऑफिसर से भर्ती हुआ डॉक्टर इसी पद से रिटायर हो जाता है, क्योंकि प्रदेश में प्रमोशन को लेकर कोई पॉलिसी ही नहीं बन पाई. वहीं, स्पेशलिस्ट को भी 15 से 17 साल बाद प्रमोशन मिल पाता है. - डॉ. पंकज शुक्ला, रिटायर्ड डायरेक्टर, एनएचएम

सरकार की ये कोशिशें

सरकार डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए अनिवार्य ग्रामीण सेवा और पीजी छात्रों की तीन माह तक जिला अस्पताल में अनिवार्य सेवा जैसे प्रयास कर रही है.

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