मध्य प्रदेश

सरकार के टूरिज्म प्लान को झटका, कूनो में अफ्रीकन चीतों के दीदार के लिए पर्यटकों को करना होगा इंतजार

Admin4
21 Jun 2022 9:47 AM GMT
सरकार के टूरिज्म प्लान को झटका, कूनो में अफ्रीकन चीतों के दीदार के लिए पर्यटकों को करना होगा इंतजार
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सरकार के टूरिज्म प्लान को झटका, कूनो में अफ्रीकन चीतों के दीदार के लिए पर्यटकों को करना होगा इंतजार

मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो पालपुर सेंचुरी में अफ्रीकन चीतों के दीदार के लिए पर्यटकों को करीब छह माह का इंतजार करना होगा। जहां इस बात से पर्यटकों को निराशा हाथ लगी है तो वहीं राज्य सरकार के टूरिज्म प्लान को भी बड़ा झटका लगा है।

दरअसल साउथ अफ्रीका और नामीबिया से कूनो में चीतों की बसाहट की तैयारियां देखने आए एक्सपर्ट और नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के मेंबर सेक्रेटरी एसपी यादव ने चीतों के बाड़े के इर्दगिर्द पर्यटन गतिविधियों को पूरी तरह से बंद रखने की सिफारिश की है।

एक्सपर्ट का कहना है कि कूनो में चीतों को जिस 5 वर्ग किलोमीटर के एनक्लोजर में रखा जाएगा, उसके इर्दगिर्द न तो पर्यटकों को एंट्री दी जाए और न ही इसके लिए किसी तरह के पर्यटन प्रस्ताव को मंजूरी दी जाए। इतना ही नहीं एक्सपर्ट ने चीतों के लिए बनाए गए बाड़े की फेंसिंग को ग्रीन मेट से कवर करने की भी सिफारिश की है। अफ्रीकन एक्सपर्ट ने कहा है कि यदि ग्रीन मेट नहीं लगाई गई तो वे फेंसिंग को पार करने की कोशिश करेंगे। इसलिए उन्हें ग्रीन मेट लगाकर यह अहसास कराया जाएगा कि फेंसिंग के बाद कुछ नहीं है।

चीतों के बाड़े में रहने तक फिलहाल टूरिज्म गतिविधियों पर रोक लगाने की सिफारिश की जा रही है। इस प्रस्ताव के बाद प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की पर्यटन को बढ़ावा देने वाली कोशिशों को झटका लगा है। मध्य प्रदेश का पर्यटन विभाग चीतों के आगमन के बाद कूनो में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए तैयारियां कर रहा था। इसके तहत कूनो सेंचुरी का टूरिज्म प्लान तैयार किया गया था। इसमें प्रतिदिन पर्यटकों के अधिकतम 100 वाहनों को एंट्री देने की बात कही जा रही थी।

अगस्त में आ सकते हैं अफ्रीकन चीतों

अफ्रीका से आने वाले चीते कूनो अभयारण्य में अगस्त तक आने की संभावना जताई जा रही है। चीतों के आने के बाद करीब छह महीने बाद पर्यटक उन्हें देख सकेंगे। मध्य प्रदेश बीते 27 सालों से कूनो में चीतों की बसाहट के लिए प्रयास कर रहा है। आजादी के 70 साल बाद यह विलुप्त जीव एक बार फिर से देश में विस्थापित कराने का प्रयास किया जा रहा है।

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