मध्य प्रदेश

शिवराज सिंह चौहान ने सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का बनाया रिकॉर्ड

Kunti Dhruw
17 March 2022 2:09 PM GMT
शिवराज सिंह चौहान ने सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का बनाया रिकॉर्ड
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने एक और रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने एक और रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है. बीजेपी (BJP) के लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड शिवराज के नाम दर्ज हो गया है. आज 17 मार्च को सीएम शिवराज ने 15 साल 11 दिन मुख्यमंत्री बने रहने के बाद रिकॉर्ड तोड़ा है. अब तक यह रिकॉर्ड छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह (Dr. Raman Singh) के नाम था. रमन सिंह 15 साल 10 दिन मुख्यमंत्री रहे हैं.

कब कब बने सीएम
शिवराज सिंह चौहान पहली बार 29 नवंबर 2005 को मुख्यमंत्री बने. उसके बाद 8 से 13 दिसंबर 2013 सीएम रहे फिर 14 दिसंबर 2013 से 17 दिसंबर 2018 तक मुख्यमंत्री बने रहे. 2018 में कमलनाथ की सरकार बनी, जो कि 15 महीने में गिर गई. इसके बाद 23 मार्च 2020 को चौथी बार शिवराज सीएम बने और उनका कार्यकाल अभी जारी है.

लगातार चौथी बार बने सीएम
इस तरह मध्य प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है. आज उनका कार्यकाल सीएम के तौर पर 15 साल 11 दिन का हो गया है. इससे पहले गिनीज कार्ड छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के नाम था. रमन सिंह 15 साल 10 दिन मुख्यमंत्री रहे हैं. शिवराज ने आज तोड़ दिया है.

कहां हुआ था जन्म
बता दें कि शिवराज सिंह चौहान का जन्म पांच मार्च 1959 को सीहोर जिले के जैत में हुआ था. सूरज के पिता का नाम प्रेम सिंह चौहान और माता का नाम सुंदर बाई है. उनके पिता किसान थे. शिवराज सिंह चौहान किरार राजपूत समुदाय से संबंध रखते हैं. उन्होंने कक्षा चौथी तक की पढ़ाई गांव में ही पूरी की.


कब हुई राजनीति में एंट्री
इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए भोपाल आ गए. यहां उन्होंने मॉडल हाई सेकेंडरी स्कूल में दाखिला लिया. यहीं पढ़ाई करते हुए शिवराज सिंह चौहान पहली बार साल 1975 में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए थे. जिसके बाद वह लगातार आगे बढ़ते गए. अब शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर चुके हैं.

कब हुए आरएसएस में शामिल
शिवराज सिंह चौहान ने एक किसान के बेटे की पहचान के लिए कांग्रेस सरकार में लगाए गए आपातकाल का विरोध किया था. इस दौरान वे वर्ष 1976-77 में जेल गए थे. शिवराज सिंह चौहान जब महज 13 साल के थे, तब वे 1972 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर एस एस) में शामिल हो गए थे. इसके बाद में समय-समय पर आम जनता के मुद्दों को उठाते रहे.

कब बने पहली बार विधायक
शिवराज सिंह चौहान वर्ष 1977-78 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री बने. वहां 1978 से 1980 मध्य प्रदेश में एबीवीपी के संयुक्त मंत्री रहे. वह 1980 से 1982 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राज्य महासचिव रहे और 1982-83 में राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद के सदस्य चुने गए. वर्ष 1984-85 में शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश में बीजेपी मोर्चा के संयुक्त सचिव 1985 में बनाए गए. वे 1988 तक इस पद पर रहे, जबकि वर्ष 1988 में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. वहां 1991 तक इस पद पर रहे. उन्होंने 1990 के विधानसभा चुनाव के दौरान शिवराज ने बुधनी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और विधायक बने.

कब बने सांसद
विदिशा लोकसभा सीट से तत्कालीन सांसद अटल बिहारी बाजपेई ने 1991 में अपनी सीट से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने यहां से लोकसभा उपचुनाव लड़ा और जीत दर्ज कर सांसद के रूप में संसद पहुंचे. सांसद बनने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने छह मई 1992 को साधना के साथ शादी के बंधन में बंध गए. साधना गोंदिया ने मातनी परिवार की बेटी थीं. साधना से शिवराज के दो पुत्र हैं.

कब कब बने सांसद
शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 1996 में हुए 11वीं लोकसभा चुनाव के दौरान विदिशा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद 1998 में जब 12 वीं लोकसभा का चुनाव हुआ तो विदिशा से तीसरी बार सांसद चुने गए. इसके बाद साल 1999 में हुए 13वें लोकसभा चुनाव के दौरान शिवराज सिंह चौथी बार सांसद बने. इस चुनाव के बाद केंद्र में बीजेपी समर्थित एनडीए सरकार सत्ता में आई. इस दौरान शिवराज सिंह चौहान केंद्र सरकार द्वारा गठित विभिन्न समितियों के सदस्य भी रहे.

कहां से पहली बार बने विधायक
साल 2004 में हुए 14वें लोकसभा चुनाव के दौरान शिवराज पांचवीं बार सांसद चुने गए थे. जबकि 2005 में शिवराज सिंह चौहान को प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बनाया गया था. 29 नवंबर 2005 को जब बाबूलाल गौर ने अपने पद से इस्तीफा दिया तो फिर पहली बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. अगले ही साल उन्होंने बुधनी विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी.


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