मध्य प्रदेश

प्रेम यादव हत्याकांड में सात बरी, अजीत सेंगर को आजीवन कारावास

Shantanu Roy
14 Jun 2022 5:19 PM GMT
प्रेम यादव हत्याकांड में सात बरी, अजीत सेंगर को आजीवन कारावास
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उज्जैन। जुलाई 2013 में हुई कांग्रेस पार्षद और नगर निगम के तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष प्रेमकुमार यादव हत्याकांड में मुख्य आरोपित अजीतसिंह सेंगर को मंगलवार को नीमच कोर्ट ने आजीवन कैद की सजा सुनाई है। वहीं कोर्ट ने सात आरोपितों को बरी कर दिया। एक नाबालिग को अदालत पूर्व में बरी कर चुकी है। इस मामले को हाईकोर्ट ने दिसंबर 2014 में नीमच ट्रांसफर कर दिया था। फैसला भी नीमच की अदालत ने ही सुनाया। नगर निगम में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस पार्षद प्रेमकुमार यादव (गप्पू यादव) की 2 जुलाई 2013 को नगर निगम मुख्यालय परिसर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

यादव शाम करीब सवा छह बजे निगम की पार्किंग में खड़ी अपनी एक्टिवा के पास पहुंचे थे। इसी दौरान आगर रोड से दोपहिया वाहन पर आए बदमाशों ने उन्हें गोली मार दी थी। मामले में कोतवाली पुलिस ने अजीतसिंह सेंगर, गोविंद कुशवाह, प्रणय कुशवाह, देवीलाल बंसल, मनोज बंसल, यदू बंसल, सलामन शेख व विक्की शर्मा सहित एक नाबालिग को आरोपित बनाया था। यादव और सेंगर के परिवारों के बीच नानाखेड़ा क्षेत्र में जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। उसी रंजिश के कारण हत्या किया जाना सामने आया था।
स्थानीय वकीलों ने पैरवी नहीं करने का लिया था निर्णय

मृतक प्रेम कुमार यादव वरिष्ठ अभिभाषक भी थे, इसलिए स्थानीय वकीलों ने आरोपित पक्ष की पैरवी नहीं करने का निर्णय लिया था। इसके अलावा अजीतिसंह सेंगर ने उज्जैन में अपनी हत्या की आशंका भी जताई थी। इसके चलते हाईकोर्ट ने दिसंबर 2014 को केस को नीमच ट्रांसफर कर दिया था। यहां प्रकरण की सुनवाई के बाद मंगलवार को कोर्ट ने मुख्य आरोपित अजीतसिंह सेंगर को दोषी करार देते हुए आजीवन कैद की सजा सुनाई है। जबकि अन्य आरोपितों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है।

अजीत के पास मिली बंदूक के आधार पर हुई सजा

पुलिस ने हत्याकांड में उपयोग की गई बंदूक अजीत सिंह सेंगर के कब्जे से बरामद की थी। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी माना की अजीत सिंह व यादव के बीच पुरानी रंजिश थी, इस कारण अजीत को आजीवन कैद की सजा सुनाई गई है।

कोर्ट ने माना मौके पर मौजूद नहीं थे गवाह

अभिभाषक वीरेंद्रसिंह परिहार ने बताया कि पुलिस ने प्रेम कुमार यादव के भाई विनोद यादव, मनोज यादव तथा उमेश ठाकुर को गवाह बनाया था। तीनों ने आरोपितों के खिलाफ गवाही दी थी। कोर्ट ने माना है कि तीनों गवाह मौके पर मौजूद नहीं थे। इसके अलावा तत्कालीन एसपी अनुराग के एक टीवी इंटरव्यू को भी कोर्ट में रखा गया है।

इसमें एसपी अनुराग ने कहा था कि दो अज्ञात आरोपितों ने यादव को गोली मारी और भाग गए थे। इस आधार पर कोर्ट ने अन्य आरोपितों गोविंद कुशवाह, प्रणय कुशवाह, देवीलाल बंसल, मनोज बंसल, यदू बंसल, विक्की शर्मा, सलमान शेख को बरी कर दिया है। पुलिस ने एक नाबालिग को भी आरोपित बनाया था, जिसे कोर्ट ने वर्ष 2016 में ही बरी कर दिया था।

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