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मध्य प्रदेश
बच्चों के लिए फरिश्ते से कम नहीं 'स्कूटर वाली मैडम, पढ़े पूरी खबर
Ritisha Jaiswal
5 Aug 2022 10:15 AM GMT

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आम तौर पर बच्चों को स्कूल लाने-जाने का काम उनके परिजनों के जिम्मे होता है. या, बच्चे खुद ही अपने स्कूल आते-जाते हैं.
आम तौर पर बच्चों को स्कूल लाने-जाने का काम उनके परिजनों के जिम्मे होता है. या, बच्चे खुद ही अपने स्कूल आते-जाते हैं. लेकिन, बैतूल की एक ऐसी अनोखी टीचर हैं जो हर दिन अपने स्कूल के 17 बच्चों को स्कूल ले जाने खुद उनके घर जाती हैं और छुट्टी होने के बाद उन्हें वापस घर तक छोड़कर आती हैं.
इस बात पर यकीन करना मुश्किल है, लेकिन यह सच है. इन स्कूटर वाली मैडम का नाम है अरुणा महाले. महाले पिछले 7 साल से बच्चों को पढ़ाने के लिए यह काम कर रही हैं. वह फिलहाल बैतूल जिले में भैंसदेही विकासखंड के ग्राम धूड़िया में पदस्थ हैं. यहां दुर्गम इलाका होने की वजह से 7 साल पहले स्कूल में केवल 10 बच्चे रह गए थे और स्कूल बन्द होने की कगार पर आ चुका था.
यह देख अरुणा ने कुछ नया करने की ठानी और अपनी स्कूटर की मदद से उन सभी बच्चों को घर से स्कूल और स्कूल से घर लाना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे करके अरुणा ने उन सभी बच्चों को पिक एंड ड्रॉप करना शुरू कर दिया. इसका नतीजा ये हुआ कि आज इस स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़कर 85 हो गई है और शासन ने इस स्कूल को बन्द करने का फैसला वापस ले लिया है
रोज सुबह अरुणा अपनी स्कूटर लेकर कच्चे पक्के रास्तों से होते हुए छोटे-छोटे मजरे टोलों तक पहुंचकर बच्चों को अपने साथ स्कूल लाती हैं और फिर उन्हें वापस भी छोड़ने जाती हैं. इसमें उनका काफी समय और पैसा खर्च होता है. दरअसल, अरुणा की अपनी कोई संतान नहीं है. इसलिए वो हर बच्चे पर अपनी ममता लुटा रही हैं. इस काम में आने वाला सारा खर्च भी वो खुद ही वहन करती हैं
अब यहां के लोग स्कूटर वाली मैडम की मेहनत और लगन के कायल हैं. उनकी मेहनत देख गांववाले भी उनकी हर संभव मदद करने को तैयार रहते हैं. गांववालों का कहना है कि स्कूटर वाली मैडम अरुणा बच्चों का जीवन संवारने जो कुछ कर रही हैं वो किसी सपने की तरह है और आज के दौर में ऐसा शिक्षक मिलना दुर्लभ है. अगर समाज में ऐसे और भी शिक्षक हों तो शायद ही कोई बच्चा शिक्षा से महरूम रहे.
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