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मानव तस्करी के खिलाफ जुलाई 2022 के दौरान आरपीएफ ने महीने भर देशव्यापी अभियान चलाया
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जबलपुर। यौन शोषण, देहव्यापार, जबरन मजदूरी, जबरन शादी, घरेलू बेगार करवाना, गोद देना, भीख मंगवाना, अंगों का प्रत्यारोपण करवाना, मादक पदार्थों को एक स्थान से दूसरे स्थान भिजवाने के लिये महिलाओं तथा बच्चों की मानव तस्करी संगठित अपराध है और मानवाधिकार के हनन का सबसे घृणित नमूना है। देश का प्रमुख यातायात तंत्र होने के नाते भारतीय रेल को मानव तस्करी के लिये इस्तेमाल किया जाता है, जिसके जरिये पीड़ितों को उनके मूलस्थान से उठाकर अन्य गंतव्यों तक ले जाया जाता है। कमान और नियंत्रण की एक संगठित अवसंचरना होने के नाते आरपीएफ की पहुंच पूरे देश में है। समय बीतने के साथ-साथ आरपीएफ ने यात्रियों की सुरक्षा सम्बंधी शिकायतों का समाधान करने की कारगर प्रणाली विकसित कर ली है। पिछले पांच वर्षों (2017, 2018, 2019, 2020 और 2021) के दौरान आरपीएफ ने 2178 लोगों को तस्करों के चंगुल से छुड़ाया। इसके साथ ही 65000 से अधिक बच्चों और तमाम महिलाओं व पुरुषों को बचाया तथा उन्हें सुरक्षा दी।