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इंदौर न्यूज़: देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के लिए फर्जी अंकसूचियां और फर्जी डिग्रियां मुसीबत बनी हुई हैं. फर्जी दस्तावेजों के जरिए देशभर में कई छात्र-छात्राएं नौकरी तक कर रहे हैं. सत्यापन के लिए जब ये दस्तावेज यूनिवर्सिटी को भेजे जाते हैं, तब फर्जीवाड़े का खुलासा होता है.
ताजा मामला बीकॉम की एक अंकसूची का है. औरंगाबाद की मैट्रिक्स बिजनेस सर्विसेस इंडिया प्रालि ने सुमित पिता रजनीकांत की अंकसूची की प्रति सत्यापन के लिए यूनिवर्सिटी भेजी. ये अंकसूची डिग्री कॉलेज सनावद की बताई गई और रोल नंबर 72126 है. यूनिवर्सिटी ने जब रिकॉर्ड जंचवाया तो पता चला कि यह अंकसूची जारी ही नहीं की गई है. इस आधार पर यूनिवर्सिटी ने कंपनी को जानकारी भेजते हुए फर्जीवाड़ा करने वाले छात्र के खिलाफ विधिक कार्रवाई करने की बात कही है. फर्जी दस्तावेज का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी फर्जी डिग्री और अंकसूची का फर्जीवाड़ा सत्यापन में पकड़ा गया है. कुछ माह पहले ही यूनिवर्सिटी के एक विभाग से पढ़े छात्र ने नौकरी के लिए फर्जी डिग्री इस्तेमाल की थी. हैरान करने वाली बात यह थी कि छात्र ने जिस सत्र की फर्जी डिग्री लगाई, उस सत्र में वह पास होकर पढ़ाई भी पूरी कर चुका था.
नई डिग्री में जोड़े हाईटेक फीचर: फर्जीवाड़े को रोकने के लिए नई डिग्री में कुछ हाईटेक फीचर जोड़े गए हैं. इसमें एक क्यूआर कोड दिया जा रहा, जिस पर स्कैन कर डिग्री का सत्यापन किया जा सकेगा. रंगीन फोटोकॉपी निकालने पर फोटोकॉपी में डुप्लीकेट प्रिंट हुआ रहेगा. परीक्षा विभाग के डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ. विष्णु मिश्रा का कहना है कि रोजाना कई डिग्री और अंकसूची सत्यापन के लिए आती है. हर दस्तावेज का रिकॉर्ड जांचकर जानकारी कंपनियों को भेजी जाती है.