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भोपाल: यह कहानी भोपाल संभाग के राजगढ़ जिले के गांव बडवेली के प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका पूजा पवार की है। उन्हें मंगलवार को राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। उन्हें पुरस्कार दिए जाने की कहानी प्रेरक के रूप में है। 2007 में यहां पोस्टिंग के बाद पूजा ने खुद की सैलरी से बीस साल पुराने दो कमरों के इस जर्जर स्कूल की मरम्मत कराई। स्कूल में सिर्फ सात बच्चों का दाखिला देखकर वह हैरान रह गई।
उन्होंने जिद ठानी और गांव में घर -घर जाकर लोगों को शिक्षा का महत्व बताया। इतने पर भी बात नही बनी तो पूजा ने अपने दोनों बच्चों हर्षित और मोक्ष का भी इसी सरकारी स्कूल में दाखिला कराया। इतना सब होता देख गांव के लोगों का इस शिक्षिका पर भरोसा बढ़ने लगा। धीरे-धीरे स्कूल में एडमिशन लेने वाले बच्चों की तादाद बढ़ने लगी। इसका असर यह हुआ कि स्कूल में बच्चों की तादाद बढ़कर 7 गुनी हो गई।
स्कूल में अकेली टीचर
पूजा ने बताया कि स्कूल में अकेली शिक्षक होने के कारण कक्षा पहली से लेकर पांचवीं तक की सभी कक्षाओं को एक साथ पढ़ने में व्यावहारिक दिक्कत हो रही थी। अपने एंड्रॉयड मोबाइल फोन से वीडियो बनाकर दूसरी कक्षाओं में बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। इसका असर यह हुआ कि प्राइवेट स्कूलों से 70 फीसदी बच्चों ने इस स्कूल में एडमिशन लिया।