मध्य प्रदेश

Rani Durgavati Tiger Reserve : नौरादेही अभयारण्य में लाई गई बाघिन कजरी को बाघ शंभू का साथ पसंद

Tara Tandi
5 Jun 2024 12:50 PM GMT
Rani Durgavati Tiger Reserve : नौरादेही अभयारण्य में लाई गई बाघिन कजरी को बाघ शंभू का साथ पसंद
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Rani Durgavati Tiger Reserveदमोह : वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के नौरादेही अभयारण्य में लाई गई बाघिन कजरी को बाघ शंभू का साथ पसंद है। दोनों अब साथ-साथ हैं। तीन महीने तक इन्होंने आपस में दूरी बना रखी थी। अब एक साथ आने के बाद इनके मेटिंग की संभावना बढ़ गई है। इससे प्रदेश के सबसे बड़े अभयारण्य में बाघ का कुनबा बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। वर्तमान में बाघों ने नौरादेही के पूरे इलाके में डेरा डाल रखा है क्योंकि बाघिन राधा के परिवार के बाघ भी इसी जगह हैं।
कजरी को मिल गया शंभू का साथ
जब कजरी को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से लाकर नोरादेही के जंगलों मे छोड़ा गया था, उस समय बाघ शंभू उसके साथ नहीं था। जब तेजगढ़ वन परिक्षेत्र के जंगलों से कजरी का रेस्क्यू कर दूसरी बार महका के जंगल में छोड़ा गया, तब दोनों साथ आए। उसके बाद से दोनों को एक साथ देखा गया। कई बार बाघ-बाघिन साथ दिखे हैं और कभी शिकार की खोज में अलग-अलग भी निकल जाते हैं। बाद में फिर साथ आ जाते हैं। प्रबंधन का कहना है कि दोनों को एक-दूसरे का साथ मिल गया है। इस वजह से अब संभावना है कि दोनों के साथ आने से परिवार बढ़ेगा। इस मार्ग पर भी उसी तरह बाघों का बसेरा होगा जिस तरह आज सागर मार्ग से लगी रेंजों मे है।
तेंदूखेड़ा के अधिकांश भाग में है जंगल
नोरादेही अभयारण्य दमोह जिले के तेंदूखेड़ा ब्लॉक के अधिकांश भाग से लगा है। अभयारण्य जाने के लिए तेंदूखेड़ा से दो मार्ग हैं, जो आगे चलकर राष्ट्रीय राजमार्ग में बदल जाते हैं। इसके एक ओर सागर-जबलपुर मार्ग है तो दूसरी और तेंदूखेड़ा-महराजपुर मार्ग है। अभी तक नौरादेही अभयारण्य में सागर मार्ग पर बाघों का रहवास होने से इस मार्ग की चर्चा होती थी। अब महाराजपुर मार्ग पर लगी नौरादेही की सीमा में भी बाघ-बाघिन ने स्थायी निवास बना लिया है। भविष्य में यह मार्ग भी उसी तरह चर्चा में बनेगा जिस तरह आज मुहली-सागर मार्ग बना हुआ है।
27 मार्च को छोड़ा गया था जोड़ा
तेंदूखेड़ा से सागर जाने वाले मार्ग पर नौरादेही की झापन और मुहली रेंज आती है। मुहली से अंदर वाले भाग में नौरादेही रेंज है। 2018 में यहां पहली बार बाघ-बाघिन छोड़े गए थे और आज इस मार्ग पर बीस से ज्यादा बाघों ने अपना बसेरा बनाया है। नौरादेही का दूसरा भाग महराजपुर मार्ग पर है। यहां मार्च माह के प्रथम सप्ताह तक कोई बाघ नहीं था। प्रबंधन ने 27 मार्च की रात बाघ-बाघिन का जोड़ा हाड़िकाट सर्किल के विस्थापित गांव महका के जंगलों में व्यारमा नदी के पास छोड़ा था। बाघ तो उसी जगह रुका रहा, लेकिन बाघिन दूसरे दिन से ही अपना स्थान बदलने लगी। तारादेही, सर्रा होकर तेंदूखेड़ा, झलोन के साथ तेजगढ़ रेंजों के जंगलों में जा पहुंची। बाद में अधिकारियों ने उसका रेस्क्यू कर पुनः उसी जगह पर छोड़ दिया जहां पहले छोड़ा था ।
इन जानवरों की है पहले से मोजूदगी
महराजपुर मार्ग पर सर्रा रेंज के साथ डोगरगांव रेंज लगती है। जिनमें सारसबगली, शिवलाल खमरिया, झमरा, झमारे, रमपूरा, महका, रमखिरिया के आलवा अन्य गांव आते हैं और यहां विशाल जंगल भी है। इस क्षेत्र में पानी के लिए व्यारमा नदी के साथ अन्य छोटी नदियां है जिनमें पानी रहता है। इस वजह से यहां पर पूर्व से ही सांभर, नीलगाय, सियार, भालू, चीतल, भेड़िया जैसे जानवर रहते हैं। अब यहां भी बाघ-बाघिन आ चुके हैं। उन्होंने इसे अपना क्षेत्र भी बना लिया है। एक माह से दोनों यही रुके हैं। इसकी निगरानी 24 घंटे हो रही है। आईडी कॉलर से लोकेशन भी ली जा रही है। नौरादेही अभयारण्य के डीएफओ अब्दुल अंसारी ने बताया कि कजरी और शंभू के साथ रहने की खबरें हैं। दोनों साथ में देखे गए हैं। भविष्य में दोनों के मिलने से बाघों का कुनबा बढ़ेगा।
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