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ऑनलाइन धोखाधड़ी की धाराओं में खेल, आइपीसी के तहत दर्ज कर रहे केस
इंदौर न्यूज़: साइबर ठगी या साइबर अपराध के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. ऐसे मामलों में जांच के बाद पुलिस केस तो दर्ज करती है, लेकिन आइटी एक्ट नहीं लगाते हुए आइपीसी की धाराओं में.
दो दिन पहले युवती का इंस्टाग्राम पर वीडियो वायरल करने के मामले में छेड़छाड़ की धाराओं में केस दर्ज हुआ. सोशल मीडिया के जरिए वीडियो वायरल हुआ था तो आइटी एक्ट की धारा लगना थी, लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया. एरोड्रम में हाल ही में दो मामले दर्ज हुए. इसमें युवती व एक अन्य को भेजे एसएमएस का वेब एड्रेस क्लिक करने पर बैंक खाते से करीब एक लाख रुपए निकल गए. नियमानुसार आइटी एक्ट के तहत केस दर्ज होना था लेकिन पुलिस ने धोखाधड़ी की धारा लगाई. आइटी एक्ट की जांच निरीक्षक स्तर के विशेषज्ञ अफसर ही कर सकते हैं. ऐसे अफसरों की कमी है और पुलिस साइबर अपराध के केस भी नहीं बढ़ाना चाहती, इसलिए आइपीसी में केस दर्ज कर रही है.
ऑनलाइन फ्रॉड व सोशल मीडिया से छेड़छाड़ संबंधी मामलों में आइटी एक्ट लगना चाहिए. कुछ केस में आइटी एक्ट नहीं लगा तो उनकी समीक्षा कर धारा बढवाई जाएगी. -हरिनारायणाचारी मिश्र, पुलिस कमिश्नर
ऑनलाइन फ्रॉड से जुड़े मामलों में आइटी एक्ट लगाना जरूरी है. चूंकि पुलिस आइटी एक्ट के प्रावधानों को अभी सही तरह से जानती नहीं है इसलिए दूसरी धारा लगा देती है. दूसरी धारा लगा देने से कई बार सही तरह से जांच भी नहीं हो पाती है, जिससे आरोपी के जल्दी बरी होना अथवा गलत सजा मिलने की भी आशंका बन जाती है.
चातक वाजपेयी, साइबर एक्सपर्ट