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पैक्ड वॉटर का चुका रहे एक हजार रुपए महीना, निगम के पानी में बेईमानी
भोपाल न्यूज़: राजधानी का हर परिवार शुद्ध पेयजल के लिए पैक्ड या बोतलबंद पानी पी रहा है. आरओ या फिर पैक्ड वाटर के लिए हर माह 800 से 1000 रुपए खर्च कर रहा है. लेकिन निगम से मिलने वाले एक हजार लीटर पानी का 220 रुपए भुगतान करने में हर चौथा घर बेईमानी कर रहा है. यानी निगम के बिल का भुगतान नहीं कर रहा.
गंदे पानी से पेट से लेकर दिमाग से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं. इससे उल्टी, दस्त, पेट दर्द आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इतना ही नहीं इससे व्यक्ति के दिमाग पर भी नकारात्मक असर पड़ता है. लंबे समय तक गंदे पानी पीने से किडनी पर भी बुरे प्रभाव पड़ते हैं. साथ ही किडनी स्टोन आदि समस्याएं हो सकती हैं.
रपुरानी लाइनों को नई से बदला जा रहा है. शुद्ध पानी मिले इसके लिए नई योजनाओं पर काम कर रहे हैं. बिल वसूली पर भी बात होगी.
केवीएस चौधरी, निगमायुक्त
पानी की आपूर्ति निजी एजेंसी करें या सरकारी. उसकी शुद्धता होनी चाहिए. क्योंकि यह आम आदमी की सेहत से जुड़ा मामला है.
अंजीता सबलोक, सामाजिक कार्यकर्ता
210 करोड़ का पानी फ्री में पी गए
नगर निगम ने चार जलस्त्रोतों से शहर की 23 लाख आबादी तक पानी पहुंचाने के लिए वर्ष 2022-23 में 255 करोड़ रुपए की राशि खर्च की. लेकिन 45 करोड़ रुपए की ही वाटर बिल वसूली हुई. यानी 210 करोड़ रुपए पानी में चले गए.
निगम के पानी पर भरोसा नहीं
नगर निगम के सप्लाई वाटर की शुद्धता पर लोगों को भरोसा नहीं है. दूषित पानी की सप्लाई की शिकायतें आम हैं. इसीलिए लोग निजी एजेंसियों से पेयजल लेते हैं. और भुगतान भी करते हैं.
ऐप पर नहीं पानी का बिल
बिजली बिल समेत अन्य बिल को जमा करने के लिए संबंधित एजेंसियों के ऐप हैं. ऑनलाइन सिस्टम है. लेकिन नगर निगम ने वॉटर बिल वसूली के लिए अब तक ऐप नहीं बनाया.
पानी में क्लोरीन की कमी के चलते जलजनित बीमारियां होने लगती हैं. क्लोरीन पानी में ऑक्सीजन की मात्रा को संतुलित करती है. अधिक क्लोरीन भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है. क्लोरीन दांतों को पीला कर देती है. इसलिए पानी साफ करने के आधुनिक तरीकों को अपनाना होगा.
वैभवराज, वाटर हाइजीन एक्सपर्ट