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पंचकुंडीय महारुद्र यज्ञ और संगीतमय भागवत कथा महोत्सव का समापन
भोपाल न्यूज़: जहां धर्म और नीति होती है वहां पर ईश्वर का वास होता है धर्म की राह पर चलकर और उत्तम नीति अपनाकर सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए. भक्तिरूपी सागर की राह पर चलकर ही मनुष्य भवसागर से पार हो सकता है. संसार के हर कण-कण में ईश्वर की अलख जगाने के लिए मानव ने अवतार लिया. धर्म का प्रचार कर अधर्मियों का नाश करना और सनातन धर्म की रक्षा के लिए हम सब को आगे आना होगा.
यह बातें सतलापुर में आयोजित पंच कुंडीय महारुद्र महायज्ञ एवं संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के समापन अवसर पर को कथावाचक पंडित अशोक चौबे ने कहीं. उन्होंने सुदामा चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि सुदामा ने विषम परिस्थितियों में गरीबी सहकर भगवान श्रीकृष्ण का दामन नहीं छोड़ा. तो बिना मांगे ही भगवान ने उसको इतना दे दिया जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की थी. इसलिए कहा जाता है ’’ बिन मांगे मोती मिले और मांगे मिले न भीख ’’ . अंत में पूर्णाहुति एवं वेद मंत्र उच्चारण के साथ सात दिवसीय पंचकुंडीय महायज्ञ का समापन हुआ.