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भोपाल। मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि सद्ज्ञान की सार्थकता उसका आचरण में पालन है। उत्कृष्ट प्रशासन के लिए आत्म-नियंत्रण ज़रूरी है।पटेल आज प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के ब्रह्माकुमारीज राजयोग भवन में कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ज्ञानवान होना पर्याप्त नहीं है। नि:स्वार्थ सेवा भावना और वंचितों के प्रति संवेदनशीलता के साथ उनकी भलाई में ज्ञान के उपयोग में ही उसकी सार्थकता है।
उन्होंने कार्यक्रम में भोपाल से भेजे जाने वाले 5 यात्रा दलों को शिव ध्वज और कलश प्रदान कर यात्रा की शुभकामनाएँ दी। शिव संदेश यात्रा को शिव ध्वज दिखा कर रवाना किया।राज्यपाल ने कहा कि प्रशासनिक उत्कृष्टता के लिए स्वयं पर नियंत्रण होना पहली आवश्यकता है।
अच्छे प्रशासन के लिए प्रशासक को लोभ, क्रोध, भय और मोह से मुक्त होना चाहिए। दूसरों को स्वयं के सदाचार के द्वारा प्रेरित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रकृति की रचनाओं में सबसे शक्तिशाली कृति मानव है। मानव को बोलने, सुनने और समझने की जो असीम शक्तियाँ प्रकृति ने दी हैं। वह दूसरों की सेवा के लिए ही हैं। इसीलिए दूसरों की भलाई के लिए किए गए कार्यों से असीम आत्मिक आनंद और आत्म-संतोष की अनुभूति होती है।
श्री पटेल ने अपनी विनम्र पारिवारिक पृष्ठभूमि का उल्लेख करते हुए कहा कि 45 वर्षों की उनकी राजनैतिक जीवन यात्रा माता-पिता के द्वारा दिए गए वंचितों की मदद के संस्कारों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि शायद यही कारण है कि गरीबी और अभावों वाले जीवन के बावजूद वह संवैधानिक पद तक पहुँच सके हैं।
ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के मुख्यालय माउंट आबू के सेवा प्रभाग के संयोजक बी.के. हरीश भाई ने कहा कि विश्वविद्यालय में प्रशासकों को स्वयं पर शासन करने की कला बतायी जाती है। सेवा की भावना जगाई जाती है। कार्य को निमित्त भाव के साथ करना सिखाया जाता है।
इससे प्रशासक की कंट्रोलिंग और रूलिंग पावर मजबूत होती है। संस्थान निदेशिका बी.के. अवधेश दीदी ने स्वागत उद्बोधन दिया। राज्यपाल के सम्मान पत्र का वाचन किया। विधान सभा के प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह ने जीवन की समग्रता के लिए आध्यात्मिकता की महत्ता पर प्रकाश डाला।