मध्य प्रदेश

डेढ़ लाख मरीज बीच में छोड़कर चले गए इलाज

Admin Delhi 1
11 Feb 2023 10:26 AM GMT
डेढ़ लाख मरीज बीच में छोड़कर चले गए इलाज
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भोपाल न्यूज़: अक्सर मरीजों को सरकारी अस्पतालों में ठीक से इलाज न मिलने की शिकायत होती है. लेकिन, यहां उसका उल्टा है. वर्ष 2022 में प्रदेश के अलग-अलग सरकारी अस्पतालों में डेढ़ लाख मरीज बीच में ही इलाज छोड़कर चले गए. इनमें से 40 फीसदी की स्थिति बाद में ज्यादा बिगड़ गई. इनमें कैंसर और टीबी रोगी भी शामिल हैं. एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. अस्पताल प्रबंधन का कहना है इस प्रवृत्ति पर रोक लगाना आसान नहीं है. कई बार मरीज पहले से बेहतर फील कर रहे होते हैं या लंबे समय से अस्पताल में भर्ती रहते हैं, ऐसे लोग इलाज बीच में छोड़कर चले जाते हैं. किसी को आर्थिक तंगी होती है. तो कहीं किसी योजना में इलाज कराने के बाद राशि खत्म होने के बाद बीच में ही छोड़कर चले गए. चिकित्सीय भाषा में इसे लामा कहते हैं. चिकित्सकों का कहना है कि इस पर निगरानी के लिए सिस्टम की जरूरत है.

हमीदिया से 2022 में चले गए थे 9 हजार

भोपाल के हमीदिया और इंदौर के एमवायएच अस्पताल से 15 हजार से ज्यादा मरीज इलाज के दौरान बीच में ही चले गए. हमीदिया के अलग-अलग विभागों में साल 2022 में ही लगभग 9 हजार लोग बीच में इलाज छोड़ कर चले गए. चिकित्सकों की भाषा में इसे लीव अगेन्स्ट मेडिकल एडवाइज यानि लामा कहते हैं. यानी गलत चिकित्सा सलाहों से छुट्टी.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

बीच में इलाज छोड़ने के प्रमुख कारण

मे डिसिन विशेषज्ञ डॉ. आदर्श वाजपेयी के अनुसार मरीजों के बीच में इलाज छोडऩे से कई बार मर्ज बढ़ जाता है. दवाओं के अधूरे डोज से मरीज में उन दवाओं के प्रति एंटीबॉडीज बन जाते हैं. ऐसे में अगली बार जब व्यक्ति ज्यादा बीमार होता है दवाएं असर नहीं करतीं.

कैंसर पीड़ित महिला इलाज छोड़ गई...

● निजी अस्पतालों के दलालों द्वारा फुसलाना

● थोड़ा आराम मिलने पर स्वस्थ मान लेना

● सरकारी योजनाओं की राशि खर्च हो जाना

● इलाज में देरी और उपचार पर भरोसा नहीं होना

हाल ही में हमीदिया अस्पताल से पिपरिया की 44 साल की महिला शशि गौर इलाज बीच में ही छोड़ कर चली गईं. उसे कंधे का कैंसर था. ऑर्थोपेडिक विभाग के डॉक्टरों ने ऑपरेशन की सलाह दी थी. एक माह तक न लौटने पर डॉक्टरों ने मरीज से संपर्क किया. समझाया कि ऑपरेशन ही आखिरी विकल्प है. इलाज के बाद महिला स्वस्थ है.

मरीजों को समुचित इलाज की कोशिश होती है. डॉक्टरों की सलाह पर ही उन्हें डिस्चार्ज किया जाता है. बावजूद इसके कुछ मरीज इलाज के बीच में चले जाते हैं.

डॉ.आशीष गोहिया, अधीक्षक, हमीदिया अस्पताल, भोपाल

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