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अब हिंदी में भी होगी MBBS की पढ़ाई, मातृभाषा में मेडिकल की पढ़ाई कराने वाले देशों में शामिल हुआ इंंडिया
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल के भारत भवन में चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित "हिंदी की व्यापकता एक विमर्श" कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस मौके पर सीएम शिवराज ने कहा कि यह मध्यप्रदेश के लिए गौरव का विषय है कि हिंदी में मेडिकल व इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने वाला पहला राज्य बना है। सीएम ने कहा कि मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में होने से कुछ नहीं बदल रहा सिर्फ भाषा हिंदी होगी, बाकी जैसे पढ़ाई होती थी, वैसे ही होगी। पहले डॉक्टर अंग्रेजी में क्रोसिन लिखते थे, अब हिंदी में क्रोसिन लिखेंगे। सीएम ने कहा कि मुझे मातृभाषा बोलने में गर्व का एहसास होता है। मैंने यूएसए से लेकर यूके तक हिंदी में भाषण दिया और उन लोगों ने मुझे अंग्रेजी बोलने वालों से ज्यादा सम्मान और इज्जत दी है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमारे देश में ही अंग्रेजी को प्राथमिकता दी गई है बाकी यूक्रेन रूस,जापान, चीन, इटली जर्मनी में अंग्रेजी कहां है। अब भारत में भी मेडिकल की पढ़ाई मातृभाषा में होगी देश में इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश से हो रही है यह मेरे लिए गर्व की बात है और इसके प्रणेता देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है। प्रदेश के 97 डॉक्टरों की टीम ने 4 महीने में रात दिन काम कर अंग्रेजी किताबों का हिंदी में अनुवाद किया है। रविवार को यानी 16 अक्टूबर को अमित जी लाल परेड ग्राउंड में इन किताबों का विमोचन करेंगे।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि मध्य प्रदेश के मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर और हिंदी के जानकारों ने एमबीबीएस फर्स्ट ईयर की किताबों का ट्रांसलेटड वर्जन तैयार किया है। इस पूरे प्रोजेक्ट को मंदार नाम दिया गया है। मंत्री सारंग ने इसके पीछे की वजह ये बताई कि जिस प्रकार समुद्र मंथन में मंदार पर्वत के सहारे अमृत निकाला गया था ठीक उसी प्रकार से अंग्रेजी की किताबों का हिंदी अनुवाद करके इस पाठ्यक्रम को तैयार किया गया है। इन किताबों को इस प्रकार से तैयार किया गया है कि जिसमें शब्द के मायने हिंदी में ऐसे ना बदल जाए कि उसे समझना मुश्किल हो।