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पिपलियाहाना तालाब क्षेत्र में सिटी फॉरेस्ट जैसा कोई विशेष काम नहीं हो रहा
इंदौर न्यूज़: सिटी फॉरेस्ट के नाम पर कहीं आंखों में धुल तो नहीं झोकी जा रही हैं. सिटी फॉरेस्ट में 1 करोड़ 75 लाख रुपए खर्च कर रहे हैं और लगा रहे है केला और गेंदे जैसे पौधे भी. यह अजब-गजब सिटी फॉरेस्ट पिपलियाहाना तालाब पर तैयार हो रहा है. यहां पर नगर निमग सिटी फॉरेस्ट तैयार कर रही हैं.
इसके लिए करीब 88 लाख रुपए की एक मोटी रकम भी मिल गई है. करीब 4 एकड़ में तार फैंसिंग और कुछ पौधे लगे है. यहां जिम्मेदार योजना के अनुरुप काम करे तो ही सिटी फॉरेस्ट तैयार हो सकता है. सिटी फॉस्टे का फंड मप्र प्रदूषिण नियंत्रण बोर्ड का पिपलियाहाना तालाब क्षेत्र में स्कीम नंबर 140 गोयल नगर एरिया में ग्रिड के समीप करीब 4 एकड़ में सिटी फॉरेस्ट की योजना बनाई गई है. इसके लिए करीब 1 करोड़ 75 लाख रुपए मप्र प्रदूषिण नियंत्रण बोर्ड से निगम निगम को मिल रहे हैं.
पहली किस्त के करीब 88 लाख रुपए बोर्ड ने निगम को जारी भी कर दिए है. यहां पर करीब 40 हजार पौधे लगाने की बात हो रही हैं, लेकिन अभी दो हजार के करीब ही पौधे रोपे हुए नजर आ रहे हैं.
पिपलियाहाना तालाब: पिपलियाहाना तालाब शहर के रिंग रोड से लगा है. अभी रिंग रोड वाले हिस्से में तालाब की पाल पर हरे-भरे पेड़ है, लेकिन सिटी फॉरेस्ट के लिए पौधे लगाए जा रहे है उस हिस्से में पाल नहीं होने से इससे कटा है. ऐसे में पहले तालाब के कटाव वाले क्षेत्र में पाल बनाने की आवश्यकता है.
पिपलियाहाना तालाब क्षेत्र में सिटी फॉरेस्ट विकसित करने के लिए बोर्ड 1 करोड़ 75 लाख दे रहा हैं. जिसमें पहली किस्त में आधी राशि दे दी है. इसे लेकर अभी तक जो भी काम निगम ने किए है और जितनी भी राशि खर्च की है उनकी जानकारी पत्र लिखकर मांगी है. सिटी फॉरेस्ट योजना अनुरुप विकसित होता है तो निश्चित ही शहर के पर्यावरण के लिए अच्छा होगा. बोर्ड भी इसकी अब मॉनिटरिंग करेगा.- श्रीनिवास द्विवेदी, प्रभारी, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इंदौर
पिपलियाहाना तालाब क्षेत्र में सिटी फॉरेस्ट की योजना में 40 हजार पौधे लगेंगे. अभी जो पौधे लगे है उनमें से कई पौधे निकालेंगे. इसके अलवा तालाब की पाल बनाई जाएगी. वॉकिंग जोन तैयार होगा. - राजेश राठौर, एमआईसी सदस्य, उद्यान प्रभारी, नगर निगम
सवाल... गेंदे के पौधों से जंगल कैसे पनपेगा
योजना शहर में जंगल खड़ा करने की है तो जंगल के पौधे लगना चाहिए. जो घने, छायादार हो. जिनकी जड़े अधिक भूमिगत-जल संचय करने की क्षमता रखती हो. तभी जंगल से शहर के पर्यावरण को फायदा होगा. लेकिन पौधा रोपण में केले के पौधे, गेंदे के पौधों सहित अन्य कई ऐसे पौधे भी लगा दिए है. जो लंबे समय तक टिकाऊ पौधों की श्रेणी में नहीं आते है. इनसे कैसे जंगल पनपेगा.
शहर में उद्यान कम जंगल क्षेत्र बनाना होगा
पर्यावरणविद् डा.ओपी जोशी ने बताया कि शहरभर में 5 लाख से अधिक पौधे जरुर लगे है, लेकिन एक बड़े क्षेत्र में सिटी फॉरेस्ट अभी तक विकसित नहीं हो सका है. देखा जाए तो न्यू पलासिया, रेसीडेंसी, रेसकोर्स रोड, चिडिय़ाघर के आसपास क्षेत्र में ही ज्यादा तादात में पेड़ है. ऐसे में शहर में उद्यान कम जंगल बढ़ाने होंगे. तभी ऑक्सीजन बैंक की अवधारणा साकार होगी.