मध्य प्रदेश

राजधानी भोपाल के भूजल में बढ़ा नाइट्रेट, स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी

Admin Delhi 1
18 March 2023 9:10 AM GMT
राजधानी भोपाल के भूजल में बढ़ा नाइट्रेट, स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी
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भोपाल न्यूज़: राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में अब जलस्रोतों के साथ भूजल भी दूषित होता जा रहा है. भोपाल जिले के भूजल में नाइट्रेट का प्रदूषण बढ़ रहा है. यह पानी लगातार पीने वालों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. नाइट्रेट की मात्रा प्राकृतिक तरीके से नहीं बल्कि मानवजनित कारणों से बढ़ रही है. सबसे बड़ा कारण सीवेज का समुचित उपचार नहीं होना सामने आ रहा है. लेकिन इस दिशा में गंभीर प्रयास नहीं हो रहे हैं.

केन्द्रीय भूजल बोर्ड की हाल ही में जारी रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश के कुल लिए गए भूजल के सेंपल में से 25 फीसदी में नाइट्रेट की मात्रा मानकों से अधिक पाई गई है. मानकों के अनुसार प्रति लीटर में 45 मिलीग्राम तक नाइट्रेट ठीक है इसके ऊपर मात्रा होने पर यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. प्रदेश में आगर मालवा के सोयत में सबसे ज्यादा खतरनाक स्थिति पाई गई है. यहां के भूजल में 400 मिग्री प्रति लीटर नाइट्रेट पाया गया है.

सीवेज और रासायनिक खाद बढ़ा रहे नाइट्रेट: पर्यावरणविद डॉ सुभाष सी पांडे के अनुसार भूजल में नाइट्रेट बढ़ने का मतलब है कि सीवेज ग्रांउड वाटर तक पहुंच रहा है. भोपाल में न तो डंपिंग साइट पर कचरे का सही निस्तारण हो रहा है और न ही सीवेज प्रबंधन और ट्रीटमेंट हो रहा है. रासायनिक खादों का बढ़ता प्रयोग और डेयरियों के अपशिष्ट का समुचित निस्तारण नहीं होना भी बड़ा कारण है. इनका प्रबंधन कर इससे बचा जा सकता है.

राजधानी में यह स्थिति

केवल 45 प्रतिशत भाग ही जुड़ा सीवेज नेटवर्क से

राजधानी में अभी केवल 45 प्रतिशत भाग ही सीवेज नेटवर्क से जुड़ पाया है. अभी तक भोपाल में 1 लाख 26 हजार घरों को सीवेज नेटवर्क से जोड़ा गया है. जबकि भोपाल में करीब 4 लाख हाउसहोल्ड हैं.

डेयरियों में नहीं बने एसटीपी

एनजीटी के आदेश के बावजूद न तो शहर के बाहर डेयरियों की शिफ्टिंग हो पाई है और यहां सीपीसीबी की गाइडलाइन का पालन कराया जा रहा है. राजधानी में 600 डेयरियां चल रही हैं. डेयरियों में एसटीपी नहीं बनने से इनके अपशिष्ट सीधे नालों में मिलाए जा रहे हैं.

दो लाख मीट्रिक टन से अधिक रासायनिक खाद

जिले में साल भर में दो लाख मीट्रिक टन से अधिक रासायनिक खाद का उपयोग किया गया. इसमें कमी नहीं आ रही है.

नाइट्रेट से बच्चों में बढ़ता है ब्लू बेबी सिंड्रोम

केन्द्रीय भूजल बोर्ड के वैज्ञानिकों ने रिपोर्ट में बताया है कि नाइट्रेट वाला पानी पीने से बच्चों में ब्लू बेबी सिंड्रोम बीमारी होती है. इसमें बच्चे का शरीर नीला पड़ जाता है. डॉ. एमके सक्सेना के अनुसार नाइट्रेट शरीर के अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने वाले हीमोग्लोबिन को प्रभावित करता है. ऑक्सीजन की कमी से सांस लेने में तकलीफ हो सकती है. पाचन और किडनी संबंधी बीमारियां भी हो सकती हैं.

सीवेज ट्रीटमेंट की स्थिति

प्रतिदिन कुल निकलने वाला सीवेज- 390 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी)

कुल ट्रीटमेंट क्षमता171.92 एमएलडी

दोनों में गैप- 218.08 एमएलडी

भोपाल जिले के फंदा और बैरसिया के कई क्षेत्रों में नाइट्रेट की मात्रा भूजल में अधिक पाई गई है. लेकिन वर्तमान में जगदीशपुर और पहले के इस्लामनगर में एक लीटर पानी में 70 मिग्रा नाइट्रेट पाया गया है. जबकि फंदा जनपद के ही सरवर में नाइट्रेट की मात्रा 50 मिग्री प्रति लीटर पाई है इसके साथ कोलार, भौंरी, बायपास आदि क्षेत्रों में भी ज्यादा मात्रा है.

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